एनसीपी ने समर्थन के लिए शिवसेना के सामने यह शर्त रखी थी कि वह एनडीए का साथ छोड़ दे। इसके बाद मोदी सरकार में शामिल अरविंद सावंत ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 30 साल पुरानी दोस्ती तोड़ने के बाद भी शिवसेना सरकार नहीं बना सकी। कांग्रेस ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। दिल्ली में हुई कांग्रेस की बैठक में शिवसेना को समर्थन देने पर कोई फैसला नहीं किया जा सका है। कांग्रेस अब एनसीपी से चर्चा कर अंतिम फैसला लेगी।
आज मंगलवार को एनसीपी की एक महत्वपूर्ण बैठक भी है। इसमें पार्टी के पदाधिकारी और विधायक हिस्सा लेंगे। राजनीतिक गलियारों की खबरों के अनुसार कांग्रेस भी आज एनसीपी से इस बारे में बात करेगी, उसके बाद ही वह अपने पत्ते खोलेगी। अब सबकी नजरें कांग्रेस पर हैं कि वह क्या निर्णय लेती है?
सोमवार रात शरद पवार के घर पर एनसीपी की बैठक हुई। इसमें मौजूदा परिस्थिति पर चर्चा की गई। एनसीपी के पास आज रात 8 बजे तक का समय है। भाजपा 'रुको और देखो' की नीति अपना रही है। अगर आज भी एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना सरकार बनाने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं करती है तो यह तय है कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना रहेगा। ऐसे में राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन के अलावा और कोई विकल्प बचता नहीं दिख रहा है।