पुलिस के मुताबिक, मई में पीड़िता को एक व्यक्ति ने फोन किया और खुद को दूरसंचार विभाग का कर्मचारी अमित कुमार बताया। जालसाज ने पीड़िता को आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल के लिए उसकी व्यक्तिगत जानकारी के साथ एक सिम कार्ड खरीदे जाने की बात कही।
इसके बाद पीड़िता को एक अन्य व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को अपराध शाखा का अधिकारी समाधान पवार बताया। उसने पीड़िता को बताया कि एक विमानन कंपनी के मालिक के घर पर छापेमारी के दौरान उसके बैंक खाते और डेबिट कार्ड का विवरण मिला है। विमानन कंपनी के मालिक को धनशोधन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह चिकित्सीय आधार पर बाहर है।
पुलिस की वर्दी में एक व्यक्ति ने भी उसके पति से वीडियो कॉल पर बात की, जिससे उसे मामले के बारे में यकीन हो गया। फिर उसे 8 दिन के लिए डिजिटल अरेस्ट में रखा गया। इस अवधि के दौरान पीड़िता से हर घंटे उन्हें रिपोर्ट करने के लिए कहा गया। डर के मारे पीड़िता ने जालसाजों द्वारा दिये गये विभिन्न बैंक खातों में 3 करोड़ रुपये भेज दिए।
अधिकारी ने बताया कि पीड़िता ने 5 जून को पश्चिम क्षेत्र साइबर थाने से संपर्क किया, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने 82 लाख रुपए क्रिप्टोकरेंसी में बदले हैं। अपराधियों को पकड़ने के प्रयास जारी हैं।