गांधीजी आज फिर अकेले पड़ गए हैं। अब तो न कोई जवाहरलाल, वल्लभभाई, मौलाना आजाद, सुशीला नैयर, प्यारेलाल, जयप्रकाश नारायण, विनोबा भावे या कुमाराप्पा हैं और न माउंटबेटन, आइंस्टीन, रवीन्द्रनाथ टैगोर, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी या घनश्यामदास बिड़ला, जो उनकी सलाह मांगें।