माता त्रिशला के सोलह स्वप्न

महाराजा सिद्धार्थ ने महारानी त्रिशला द्वारा देखे गए सपनों की जानकारी जब स्वप्नवेत्ताओं को दी तो स्वप्नवेत्ता बोले- राजन! महारानी ने मंगल सपनों के दर्शन किए हैं। स्वप्नवेत्ताओं ने सपनों की जो भावी व्याख्या की, उससे प्रभु महावीर का भविष्य प्रकट हुआ। जो सोलह स्वप्न भगवान महावीर की माता त्रिशला ने निद्रा में देखें, उनकी स्वप्नवेत्ताओं ने भावी सूचनाएँ इस प्रकार बताई हैं-

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हाथी- हाथी जिस तरह शत्रु सेना को नष्ट करता है, वैसे ही यह कर्मरूपी शत्रु का नाश करेगा।

वृषभ- वृषभ जैसे भार वहन करता है, वैसे ही यह बालक संयम का भार वहन करेगा।

केसरी सिंह- कामरूपी गज को नष्ट करने में केसरी सिंह जैसा बल दिखाएगा।

लक्ष्मी- अनंत ज्ञान दर्शन रूप लक्ष्मी को यह बालक प्राप्त करेगा।

पुष्पमाला- सुमनमाला की तरह सबको प्रिय कल्याणकारी होगा।

चंद्रमा- जैसे चंद्रमा शीतलता प्रदान करता है, वैसे ही यह सबके लिए शीतलता व सुरम्यतादायक होगा।

सूर्य- मिथ्यात्व के तम को दूर कर रत्नत्रयी का प्रकाश करेगा।

कुंभ कलश- अनेक निधियों का स्वामी होगा।

दो मछलियाँ- महाआनंद का दाता, दुखहर्ता

पद्म सरोवर- कमलाकार सिंहासन पर बैठकर देशना करेगा।

क्षीर समुद्र- सागर जैसी असीम गहराई का वह धारक होगा।

रत्नजडि़त सिंहासन- प्रजा का हितचिंतक पुत्र।

देव विमान- असंख्य देव-देवियों की पूज्यता प्राप्त करेगा।

नागों के राजा नागेंद्र का विमान- त्रिकालदर्शी पुत्र होगा।

रत्नों का ढ़ेर- संपूर्ण आत्मगुणों का धारक होगा।

धुआँरहित अग्नि- कर्मों का अंत करके मोक्ष निर्वाण को प्राप्त करेगा।

ऐसा महान पुत्र धर्मध्वजा को सारे लोक में फैलाएगा।

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