मटन, चिकन और शराब... भारत के वो मंदिर जहां सावन में भी चढ़ता है मांस और मदिरा का प्रसाद

WD Feature Desk

गुरुवार, 17 जुलाई 2025 (14:43 IST)
Indian temples famous for their non vegetarian prasad: भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक और पारंपरिक विविधताएं देखने को मिलती हैं और यहां हर आस्था, हर परंपरा और हर विश्वास का सम्मान किया जाता है। आमतौर पर, सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस दौरान अधिकांश भक्त सात्विक भोजन का सेवन करते हैं, मांस-मदिरा से दूर रहते हैं। लेकिन, भारत में कुछ ऐसे अनोखे मंदिर भी हैं जहां सदियों से चली आ रही परंपराओं के तहत भगवान को मांस और मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है, और यह परंपरा सावन के महीने में भी जारी रहती है। आइए जानते हैं भारत के ऐसे ही 5 प्रमुख मंदिरों के बारे में:

1. कामाख्या मंदिर, असम: असम के गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और तंत्र विद्या का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां माता कामाख्या को प्रसन्न करने के लिए मांस और मछली का भोग लगाया जाता है। यह प्रसाद बाद में भक्तों में वितरित किया जाता है। मंदिर की यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसे शक्ति पूजा का अभिन्न अंग माना जाता है। यहां सावन में भी भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इन विशेष प्रसादों को अर्पित करते हैं।

2. तारापीठ मंदिर, पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित तारापीठ मंदिर देवी तारा को समर्पित एक और महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है। यह मंदिर अपनी तांत्रिक साधनाओं और बलि प्रथा के लिए प्रसिद्ध है। यहां देवी को बकरे के मांस की बलि चढ़ाई जाती है, जिसे शराब के साथ भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। यह प्रसाद भी बाद में भक्तों के बीच बांटा जाता है। मान्यता है कि यहां मां तारा की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन में भी यहां भक्त अपनी विशेष पूजा-अर्चना के साथ मांस और मदिरा का भोग लगाते हैं।

3. काल भैरव मंदिर, उज्जैन: भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव को समर्पित कई मंदिर भारत में हैं, और इनमें से उज्जैन का काल भैरव मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां भगवान को मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसे भक्त स्वयं अर्पित करते हैं। उज्जैन के काल भैरव मंदिर में यह परंपरा राजा विक्रमादित्य के काल से चली आ रही है।

4. दक्षिणेश्वर काली मंदिर, पश्चिम बंगाल: कोलकाता में स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर भी एक प्रमुख शक्तिपीठ है जहां देवी काली को भोग के रूप में मछली और कभी-कभी बकरे का मांस भी अर्पित किया जाता है। यह मंदिर अपनी भव्यता और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां पर मां काली की पूजा तांत्रिक विधि से की जाती है। भोग लगाने के बाद, यह प्रसाद भक्तों में वितरित किया जाता है। यह परंपरा भी सदियों से चली आ रही है और सावन में भी इसका पालन किया जाता है।

5. मुनियांदी स्वामी मंदिर, तमिलनाडु: तमिलनाडु के मुनियांदी स्वामी मंदिर में भगवान मुनियांदी (जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है) को प्रसाद के रूप रूप में चिकन और मटन बिरयानी चढ़ाई जाती है। यह बिरयानी बाद में भक्तों में बांटी जाती है। इसी तरह केरल के पारसिक कदवु मंदिर में भगवान को मछली और ताड़ी का भोग चढ़ाया जाता है। यह दर्शाता है कि भारत में धार्मिक परंपराएं कितनी विविध और क्षेत्रीय विशेषताओं से भरी हुई हैं। 
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