32 देशों के पतंगबाज अहमदाबाद में

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अहमदाबाद में 10 से 14 जनवरी तक चलने वाले पतंग महोत्सव में परवाज करती विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी पतंगों का नजारा दर्शकों को देखने को मिलेगा। इस महोत्सव में देश के पतंगबाजों के अलावा 32 देशों के 87 नामी-गिरामी पतंगबाज भी भाग लेंगे।

मशहूर कहावत है कि पतंग लूटने तो बादशाह तक दौड़ पड़ते हैं। रंगीन कागज और डोर के सदियों पुराने रिश्ते पतंग का जलवा ही ऐसा है। कोई बिरला ही होगा, जिसका आसमान में लहराती और उठती-गिरती इस शै से परिचय नहीं हो। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने आसमान से लहराकर गिरने वाली पतंग की ओर मुस्करा कर न देखा हो और उसके मन में उसे पकड़ने की तमन्ना नहीं जागी हो!

इस तमन्ना को रूप देने के लिए उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के तमाम राज्यों और फ्रांस, मलेशिया, ब्रिटेन, बुल्गारिया, सिंगापुर, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों से पतंगबाज कलाबाजियों के जौहर दिखाने के लिए इस महोत्सव में इकट्ठा होंगे।

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गुजरात के पर्यटन विभाग के अनुसार इस महोत्सव से राज्य को लगभग 300 करोड़ की आमदनी होने की उम्मीद है। विदेशी पर्यटकों को इस दौरान सांस्कृतिक रूप से समृद्ध गुजरात की झलक देखने को भी मिलेगी। पर्यटन विभाग का मानना है कि पतंग महोत्सव राज्य में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देगा।

आँकड़ों के अनुसार राज्य में वर्ष 2008-09 के दौरान 1 करोड़ 58 लाख पर्यटक आए। इनमें 3 लाख विदेशी पर्यटक थे, जबकि साल 2002-03 में राज्य में केवल 61 लाख 65 हजार पर्यटक ही आए थे। इनमें 65 हजार विदेशी पर्यटक थे। इन आँकड़ों से साफ जाहिर है कि पिछले पाँच साल में राज्य के पर्यटन कारोबार में तीन गुना इजाफा हुआ है।

इस महोत्सव में गोल, चील, चांदपुर, पायलो, आखियो और पौनिया जैसी पतंगों के अलावा रॉकेट पतंग भी आसमान में लहराएगी, किंतु रात में उड़ाई जाने वाली लालटेन पतंग का एक अलग ही आकर्षण होगा। इसके अलावा महोत्सव में विभिन्न प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जाएँगी।

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इस महोत्सव का धार्मिक महत्व भी है। जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन में आता है, तब देश में मकर संक्राति मनाई जाती है। हर साल 14 जनवरी को मनाई जाने वाली इस संक्रांति को देश के सभी भागों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। इस तारीख से ठंड का मौसम खत्म होने की शुरुआत हो जाती है। गुजरात में इस पर्व पर लोग उल्लास में पतंग उड़ाते हैं और पूरे राज्य का आकाश रंग- बिरंगी पतंगों से घिरा रहता है।

इस महोत्सव में 225 पतंगबाज भाग ले रहे हैं। इनमें 120 पतंगबाज देश के विभिन्न राज्यों से आएँगे, जबकि शेष पतंगों के महारथी समुद्र पार से आएँगे और साबरमती के तट पर हवा के रुख को अनुभव की कसौटी पर कसते हुए पतंगों से पेंच लड़ाने का जौहर दिखाएँगे।

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