गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा व कावेरी नदियों के तीर पर बसे क्षेत्रों में स्नान करने से महापुण्य का लाभ मिलता है। मकर संक्रांति के समय तीर्थ क्षेत्रों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती हैं। ऐसा माना जाता है कि संक्रांति देवी जिसे स्वीकार करती हैं, उसके पापों का नाश होता है।
इस दिन तिल का तेल व उबटन, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल मिश्रित पानी पीना, तिल होम, तिल का दान, इन पद्धतियों से तिल का उपयोग करने वालों के सर्व पाप नष्ट होते हैं।
संक्रांति के पर्व काल में दांत मांजना, कठोर बोलना, वृक्ष, घास काटना, काम, तथा विषय सेवन जैसे कृत्य नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन नए बर्तन, वस्त्र, अन्न, तिल, तिल पात्र, गुड़, गाय, घोड़ा, सुवर्ण व भूमि का यथाशक्ति दान अवश्य करना चाहिए।