तिल-गुड़ खाने की परंपरा क्यों?
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धार्मिक महत्व: कई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तिल और गुड़ का सेवन करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। एक कथा के अनुसार, शनि देव ने सूर्य देव को तिल और गुड़ का भोग लगाया था, तभी से इस परंपरा का प्रचलन हुआ।
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स्वास्थ्य लाभ: तिल और गुड़ दोनों ही स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। तिल में कैल्शियम, आयरन और जिंक जैसे खनिज पदार्थ भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। वहीं, गुड़ में आयरन और अन्य पोषक तत्व होते हैं। सर्दियों में तिल और गुड़ शरीर को गर्मी देते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
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वैज्ञानिक कारण: तिल में मौजूद तेल शरीर को गर्मी प्रदान करता है और सर्दी के मौसम में शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। गुड़ में मौजूद शर्करा शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। दोनों को मिलाकर खाने से शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है।
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तिल-गुड़ के स्वास्थ्य लाभ
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हड्डियों को मजबूत बनाता है: तिल में कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
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रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: तिल और गुड़ दोनों ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
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पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है: तिल और गुड़ पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं।
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खून साफ करता है: गुड़ खून को साफ करता है और एनीमिया से बचाता है।
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ खाने की परंपरा सदियों पुरानी है। इस परंपरा के पीछे धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक कई कारण हैं। तिल और गुड़ दोनों ही स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसलिए, मकर संक्रांति के मौके पर तिल और गुड़ के व्यंजन जरूर खाएं।
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