पृथ्वी साढ़े 23 डिग्री अक्ष पर झुकी हुई सूर्य की परिक्रमा करती है तब वर्ष में 4 स्थितियां ऐसी होती हैं, जब सूर्य की सीधी किरणें 21 मार्च और 23 सितंबर को विषुवत रेखा, 21 जून को कर्क रेखा और 22 दिसंबर को मकर रेखा पर पड़ती है। वास्तव में चन्द्रमा के पथ को 27 नक्षत्रों में बांटा गया है जबकि सूर्य के पथ को 12 राशियों में बांटा गया है। भारतीय ज्योतिष में इन 4 स्थितियों को 12 संक्रांतियों में बांटा गया है जिसमें से 4 संक्रांतियां महत्वपूर्ण होती हैं- मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति। जानिए किस नक्षत्र में आने वाली संक्राति कैसी होती है। दरअसल ये मकर संक्रांति के प्रकार है।
7. मिश्रित (या मृदुतीक्ष्ण या साधारण)- कृत्तिका, विशाखा।
उक्त नक्षत्रों से पता चलता है कि इस बार की संक्रांति कैसी रहेगी। इस बार संक्रांति का नक्षत्र श्रवण है अर्थात इसकी प्रकृति चर है। चर नक्षत्र शुभ फलदायी होता है। अर्थात इस बार का संक्रांति वर्ष सभी जनों के लिए शुभफल देने वाली सिद्ध होगी। मतलब यह कि सभी का भविष्य शुभ और सफल फलदायी होगा।