मंदिर से जुड़े भक्तों का मानना है कि यह धरती पुत्र मंगल देव का जागृत स्थान है। जहां पर पंचमुखी हनुमानजी के साथ ही भू-माता के साथ मंगल देव विराजमान हैं। मंदिर में बार-बार आने वाले भक्तों ने भी मंगल देव के दर्शन और पूजन करने के बाद अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि यहां पर आने के बाद हमारे जीवन की समस्याओं का समाधान हुआ और यहां आकर बहुत ही शांति का अनुभव होता है।
एक भक्त गोरखनाथ सुरेश चौधरी ने बताया कि मैं यहां अमलनेर का निवासी हूं। यहां मंगल ग्रह मंदिर में बड़ी संख्या में लोग आते हैं और जो मांगलिक हैं वे यहां पर आकर अभिषेक करते हैं या पूजा करते हैं। वैसे ही मैं भी यहां दर्शन और पूजा के लिए आता हूं। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की ऐसी भावना है कि उनकी मन की जो मनोकामना है वह पूर्ण हो जाती है।
उन्होंने कहा कि ऐसा कहते हैं कि मंगल भू माता के पुत्र हैं और भूमि से संबंधित जो भी कार्य है वह सफल होते हैं। मेरे पास भी जमीन का एक टुकड़ा था जो 20-25 साल से ले रखा था। उसका कोई अच्छा खरीदार नहीं मिल रहा था। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि इसका क्या करना है। तब मैंने मंगलदेव से मन्नत मांगा कि इसका क्या करना है, आप सी रास्ता बताओ। फिर मंगलदेव ने ही यह विचार दिया होगा कि आज मैंने वहां पर 'मंगल कार्यालय' का काम शुरू किया है। जहां पर अब मेरा काम अच्छा चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि यहां पर मंगल देव की 5 तरह की पूजा होती है- पंचामृत अभिषेक, सामूहिक अभिषेक, एकल अभिषेक, हवनात्मक पूजा और भोमयाज्ञ पूजा। कहते हैं कि यहां पर मंगलवार को आकर की गई मंगल पूजा और अभिषेक से शर्तिया मंगल दोष से मुक्ति मिल जाती है और जातक सुखी वैवाहिक जीवन यापन करता है।