Shri Mangal Dev Grah Mandir Amalner : धर्मशास्त्रों के अनुसार मंगलदेव को श्रीहरि विष्णु के वराह अवतार का पुत्र भी माना जाता है और यह भी माना जाता है कि उनका जन्म शिवजी के पसीने की बूंद से हुआ था। यह भी मान्यता है कि मंगल का जन्म कार्तिकेय के शरीर से हुआ था। मंगलदेवता की पूजा का एक प्रसिद्ध स्थान महाराष्ट्र के जलगांव जिले के अमलनेर शहर में भी है। यहां पर मंगलवार और शनिवार को मंगलग्रह मंदिर में मंगलदेव के दर्शन करने के लिए लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
धरती पुत्र मंगलदेव को देवताओं का सेनापति माना जाता है। मंगल ग्रह या देव साहस, पराक्रम और निर्भिकता के देव हैं। मंगल भी धरती को कई सारी आपदाओं से बचाता है। मंगल ग्रह धरती को शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से भी बचाता है। मंगल के कारण ही समुद्र में मूंगे की पहाड़ियां जन्म लेती हैं और उसी के कारण प्रकृति में लाल रंग उत्पन्न हुआ है।
मंगल सेनापति स्वभाव का है। शुभ हो तो साहसी, शस्त्रधारी व सैन्य अधिकारी बनता है या किसी कंपनी में लीडर या फिर श्रेष्ठ नेता। मंगल अच्छाई पर चलने वाला है ग्रह है किंतु मंगल को बुराई की ओर जाने की प्रेरणा मिलती है तो यह पीछे नहीं हटता और यही उसके अशुभ होने का कारण है।
वे लोग जिनका व्यवसाय बालू, मिट्टी और कृषि से संबंधित है अर्थात बिल्डर, डेवलपर्स, किसान, खेतिहर मजदूर, दलाल, सिविल इंजीनियर, आर्किटेक्ट आदि सभी लोगों के आराध्य देव मंगल माने गए हैं। इसके अलावा जो लोग पुलिस या सेना में हैं वे उनके देवता भी मंगलदेव ही है। इसी के साथ जिनकी कुंडली में मंगल दोष बताया जाता है उन्हें तो विशेष रूप से मंगलदेव की पूजा करना चाहिए। इसी के साथ ही जिनकी राशि मेष और वृश्चिक है उन्हें भी मंगलदेव की पूजा और आराधना करना चाहिए क्योंकि उक्त दोनों ही राशियों के स्वामी मंगलदेव ही है।
अधिक का मानना है कि मंगल पृथ्वी पुत्र है। इसका नाम भौम भी है। अत: इसकी उत्पत्ति पृथ्वी से हुई है। अमलनेर के मंगलग्रह मंदिर में मंगलदेव की प्राचीन और जागृत मूर्ति भू माता और पंचमुखी हनुमानजी के साथ विराजमान है। यहां पर लाखों भक्त मंगल दोष की शांति कराने के लिए और रोग मुक्ति की कामना से आते हैं। इसी के साथ यहां पर बड़ी संख्या में किसान, सैनिक, पुलिस और सिविल इंजीनियर भी बड़ी संख्या में आकर मंगलदेव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।