क्यों रोते हैं शिशु?

- प्रणिता भंडारी
नन्हें-मुन्ने का रोना किसे अच्छा लगता है, परंतु नन्हा शिशु रोता है तो कई बार रोता ही चला जाता है। बच्चे की किलकारी जहाँ सबको प्रसन्न कर देती है, वहीं रोने की आवाज परेशान। विशेष रूप से माँ बेहद परेशान होती है, परंतु बच्चे तो रो कर ही अपनी बात को बताते हैं।

भूख लगी हो तो रोना, नींद आने पर रोना, सूसू करने के बाद रोना, कपड़े पहनाने पर रोना, सोते समय डर कर या बिना बात रोना, यह तो शिशु की दिनचर्या है। यदि बच्चा रो रहा है तो आप सबसे पहले यह देखें कि यह क्यों रो रहा है। रोने पर आप उसे गोद में लें, प्यार करें, ज्यादातर तो होता यही है कि बच्चा माँ का सान्निध्य पाना चाहता है, क्योंकि माँ की गोद में वह स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है, इसलिए आपके हाथों का स्पर्श पाते ही वह रोना बंद कर देता है।

छोटे बच्चों को पेट की समस्या भी कई बार परेशान करती है। पेट तना हुआ है, उसे कब्ज है या कान में दर्द है तो शीघ्र ही किसी बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएँ। बिस्तर में कोई कीड़ा या चींटी आदि न हो यह भी देख लें। पहनाए हुए कपड़ों को भी देख लें कि कहीं कोई पिन या और कुछ चीज चुभ तो नहीं रही।


रोना एक सहज प्रक्रिया
बच्चे का रोना जहाँ तक हमें परेशान करता है, वहीं उनके लिए एक अच्छा व्यायाम भी है। रोना बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहतर साबित होता है।

* बच्चे के रोने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप उसका सही ढंग से ध्यान नहीं रख पा रही हैं। आप इस बात को समझें कि आपका शिशु असहाय है और अपनी हर जरूरत के लिए वह आप पर निर्भर है।

* अपनी इन जरूरतों के बारे में भी वह खुद आपको बता नहीं सकता है, आपको ही अपने शिशु की बात समझना होगी। रोते हुए शिशु को संभालना आपके लिए मुश्किल हो रहा है तो अनुभवी महिलााओं से पूछें।

* यदि आपका शिशु आपके बहलाने पर भी चुप नहीं होता है तो उसे डाँटें, मारें या अकेला न छोड़े। अपने मन को शांत कर उसे चुप करवाने की कोशिश करें।

* अगर शिशु के रोने पर आपके पति या घर के अन्य सदस्य उसे बाहर घुमा लाएँ या बहला कर चुप करा दें तो यह न समझें कि उन्होंने आपके अधिकार क्षेत्र में दखल दिया।

* यदि वह आपका लाडला या लाडली है तो उनका भी वह प्यारा है।

* शुरू से ही बच्चा सबके पास जाए, ऐसी आदत डालिए, ताकि आप भी ज्यादा परेशान न हों और बच्चा भी।

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