Andhvishwas or Science: दर्पण में हमें अपना प्रतिबिंब देखने को मिलता है, जिससे हम अपने अंदर कि कमियों को देखने के साथ अपनी खूबियों को भी देख पाते हैं। आज के समय में बिना शीशे के किसी भी व्यक्ति का दिन गुजरना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति सुबह स्कूल, कॉलेज या ऑफिस जाने से पहले खुद को एक बार आईने में जरूर देखते हैं। आईना जहां किसी व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करता है, वहीं कुछ लोगों में घमंड को बढ़ा भी सकता है।
लेकिन क्या आपको पता है आईना देखने से जुड़े कई तरह के अंधविश्वास हमारे समाज में फैले हुए हैं। यह अंधविश्वास हमारे लाइफस्टाइल में इस तरह मिक्स हो गए हैं कि न चाहते हुए भी हम उन बातों पर विश्वास कर लेते हैं। इन्हीं अंधविश्वासों में कुछ अंधविश्वास बच्चों को लेकर भी हैं, जिनमें से एक बच्चों का शीशा देखना है। ऐसा माना जाता है कि शिशुओं को आईना दिखाने से उनके दांत देरी से निकलते हैं। लेकिन यह वास्विक में सही हैं या सिर्फ अंधविश्वास आज इस आलेख में समझते हैं।ALSO READ: अगर अपने बच्चों की जासूसी है आपकी भी आदत तो ये बातें जानना आपके लिए है बहुत ज़रूरी
क्याशिशुओंकोशीशादिखानेसेदांतदेरीसेनिकलताहै?
आपने देखा होगा कि जब भी किसी छोटे बच्चे को कोई शीशा दिखाता है तो घर के बड़े-बुजुर्ग तुरंत आपको ऐसा करने से रोक देते हैं, और अगर उनसे पूछा जाए कि ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए? तो इसके जवाब में अक्सर बड़े बुजुर्ग यहीं कहते थे कि शिशुओं को शीशा दिखाने से शिशुओं के दांत निकलने में दिक्कत होती है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि शिशु को आईना दिखाने से वो देरी से बोलना शुरू करते हैं। शिशुओं को आईना दिखाने से जुड़े इन मिथकों पर लोग आसानी से विश्वास कर लेते हैं, जिस कारण बच्चों के सही विकास में कई बार ये समस्याएं बाधा बन सकती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या वाकई शिशुओं को आईना दिखाना उनके सेहत पर नकारात्मक असर डाल सकता है?
छोटेबच्चोंकोशीशादिखानेसेक्याहोताहै?
ऐसा मानना कि बच्चे को आईने में देखने देना उनके दांतों या स्वास्थ्य के लिए किसी तरह से हानिकारक है या सिर्फ एक निथक है। बल्कि बच्चों को शीशा दिखाना और शीशा देखकर गतिविधियां करने उनके मानसिक विकास के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में विशाग्यों के अनुसार जानते हैं कि बच्चों को आईने में देखना क्यों अच्छा है?
आत्म-जागरूकताबढ़ातीहै
आईने में देखने से बच्चे अपनी खुद की परछाई को पहचानना सीखते हैं, जो उनमें आत्म-जागरूकता विकसित करने के लिए काफी जरूरी है। शीशे में देखने से बच्चो को समय के साथ अपनी पहचान की भावना विकसित करने में मदद मिलती है।
विजुअलऔरसंवेदीकोबढ़ावामिलताहै
शीशे बच्चों में आकर्षक दृश्य को बढ़ावा देने का काम करता है, जिससे बच्चे को ध्यान केंद्रित करने और गतिविधियों को ट्रैक करने में मदद मिलती है। आईने के साथ बच्चों का यह जुड़ाव उनके दृश्य और संवेदी विकास को बढ़ा सकता है।
बच्चोंमेंसोशलऔरइमोशनलकौशलकोबढ़ाएं
आईने में देखने से शिशु खुद से बातचीत करने की कोशिश करते हैं, मुस्कुराते हैं और अलग-अलग तरह के चेहरे बनाते हैं, जिसकी मदद से उन्हें सोशल कंनेकशन बनाने में मदद मिलती है। शिशु में देखकर खुद से बातचीत करना बच्चों को भावनाओंको समझने और सामाजिक कौशल विकसित करने के लिए जरूरी है।
शिशुकोआईनादिखातेसमयकिनबातोंकाध्यानरखें?
शिशु जिस आईने में देख रहे हैं, पेरेंट्स इस बात का ध्यान दें कि वो सुरक्षित स्थान पर रखा है और बच्चे को उससे चोट लगने की संभावना कम है।
बच्चे को शिशु में देखकर खेलने दें और इसके साथ पेरेंट्स कोशिश करें कि खुद भी शिशु के साथ आईने में देखें और अलग-अलग तरह से चेहरे बनाएं और शिशि में देखकर ही उनसे बात करें।
शिशुओं के डेली रूटीन में आप रोजाना कुछ समय शीशे के सामने गुजारने का समय निर्धारित करें, ताकि उनके मानसिक विकसा को बढ़ावा मिल सके।
शिशुओं को आईना दिखाने से जुड़े किसी भी तरह के मिथकों पर विश्वास करने के स्थान पर आप कोशिश करें कि अपने शिशु के बेहतर विकास के लिए किसी भी बात पर विश्वास करने से पहले डॉक्टर या एक्सर्ट से सलाह जरूर लें।
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