शिशु रोगों की घरेलू चिकित्सा

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छोटा शिशु जब किसी व्याधि से ग्रस्त होता है, तब बड़ी परेशानी होती है, क्योंकि बच्चा बोल नहीं सकता तो यह बता नहीं पाता कि उसे तकलीफ क्या है। वह सिर्फ रोने की भाषा जानता है और रोए जाता है।

माँ बेचारी परेशान हो जाती है कि बच्चा रो क्यों रहा है, इसे चुप कैसे किया जाए, क्योंकि वह बच्चे को बहलाने और चुप करने की जितनी कोशिश करती है, बच्चा उतना ही रोता जाता है। यहाँ कुछ ऐसी व्याधियों की घरेलू चिकित्सा प्रस्तुत की जा रही है, जो बच्चे के रोने का कारण होती है।

पेट दर्द :
पेट में दर्द होने से शिशु रो रहा हो तो पेट का सेक कर दें और पानी में जरा सी हींग पीसकर पतला-पतला लेप बच्चे की नाभि के चारों तरफ गोलाई में लगा दें, आराम हो जाएगा।

कान दर्द :
छोटा शिशु कान की तरफ हाथ ले जाकर रोता हो तो माँ अपने दूध की 2-2 बूँद कानों में टपका दे। यदि कान दुखने से बच्चा रोता होगा तो चुप हो जाएगा, क्योंकि कान का दर्द मिट चुका होगा।

पेट के कीड़े :
छोटे बच्चों को अकसर पेट में कीड़े हो जाने की शिकायत हो जाया करती है। नारंगी के छिलके सुखाकर कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें, वायविडंग को भी कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें। दोनों को बराबर मात्रा में लेकर मिला लें।

इस मिश्रण को आधा चम्मच (लगभग 3 ग्राम) गर्म पानी के साथ बच्चे को दिन में एक बार, तीन दिन तक, सेवन करा कर चौथे दिन एक चम्मच केस्टर ऑइल दूध में डालकर पिला दें। दस्त द्वारा मरे हुए कीड़े बाहर निकल जाएँगे।

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