इंदौर। महंगे होते इलाज और खतरनाक बीमारियों से इस दौर में हर शख्स परेशान है। इंदौर में इन दोनों मुश्किलों से लड़ने की एक सामूहिक पहल हुई है। यहां शहर के गणमान्य नागरिकों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की ‘हमसईद’ नामक पहल की है। इसी 10 फरवरी से शुरू हुई इस पहल के जरिए एक व्यक्ति के इलाज के लिए चंद दिनों में 21 लाख रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
इस बारे में प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव विनीत तिवारी ने बताया कि इंदौर के प्रतिष्ठित युवा पत्रकार सईद खान को लिवर सिरोसिस नामक बीमारी ने घेर लिया है जिसका एकमात्र इलाज डॉक्टरों के मुताबिक जल्द से जल्द लिवर प्रत्यारोपण है। सईद के भाई अकबर जो स्वयं भोपाल में पत्रकार हैं, लिवर डोनर बनने के लिए तैयार हैं। इस इलाज में करीब 21 लाख रुपए का खर्च आएगा, जिसका इंतजाम जितना जल्द हो सके, करना है।
विनीत बताते हैं कि इस रकम का इंतजाम करने के लिए 10 फरवरी को शहर के लोगों ने एक बैठक की और ‘हमसईद’ नाम से एक बैंक खाता खोलकर इस अभियान में जुट गए हैं। इस मुहिम से जयदीप कर्णिक, अभय नेमा, पत्रकारों के साथ ही वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर, वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता पेरिन दाजी, जया मेहता, आलोक खरे, प्रमोद बागड़ी, विजय दलाल, आमिर सिद्दीकी, शब्बीर हुसैन, आदि जुड़े हुए हैं। इंदौर प्रेस क्लब भी इस मुहिम को सक्रिय तौर पर आगे बढ़ा रहा है। पत्रकार मनोहर लिम्बोदिया ने बताया कि इस मामले में अनेक पत्रकार साथी स्वेच्छा से अपनी ओर से अंशदान कर रहे हैं।
‘आवाज' समूह के शब्बीर हुसैन ने बताया कि उनका समूह हमेशा अपनी ओर से जरूरतमंद लोगों की मदद करने की कोशिश करता है और इस मामले में भी वे भरसक कोशिश कर रहे हैं। इस पहल को व्यापक बनाने के बारे में विनीत कहते हैं, यह महज सईद का मसला नहीं है। इस तरह के मामले सामने आने पर लोग उठकर खड़े होते ही हैं, और मदद भी करते हैं। लेकिन सोचा जाना चाहिए कि आखिर महंगे होते इलाजों के इस दौर में ऐसी कोशिशें कितने लोगों तक पहुंच पाएंगी। आखिरकार सरकार की स्वास्थ्य नीति को बदलने की जरूरत है। यह कैसी नीति है कि इलाज मौजूद है, फिर भी पैसे के अभाव में लोगों को उससे दूर रखा जाता है।
इस पहल से जुड़े ‘रूपांकन’ के अशोक दुबे कहते हैं, जन सरोकारों के लिए काम करने वाले पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के हालात ऐसे नहीं हैं कि वे अचानक आने वाली इन बड़ी बीमारियों से निपट सकें। इसलिए इसके लिए एक मजबूत सांगठनिक पहल की जरूरत तो है ही। वे कहते हैं कि सईद के बहाने ही इस तरह की कोशिश को एक व्यवस्थित स्वरूप दिया जा सके तो यह बेहतर होगा। उन्होंने बताया कि हालिया बैठक में इस संबंध में भी चर्चा हुई थी।