एमएनएफ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तावंलुइया को भेजे गए अपने त्यागपत्र में जोरमथांगा ने कहा कि वे पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुनावी हार के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं। इस बीच एमएनएफ के एक नेता ने कहा कि पार्टी जोरमथांगा का इस्तीफा स्वीकार करना है या नहीं, यह तय करने के लिए बुधवार को एक बैठक करेगी।
उन्होंने पत्र में कहा कि एमएनएफ राज्य विधानसभा चुनाव जीतने में विफल रही। इस संबंध में मैं पार्टी प्रमुख के रूप में नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं। यह मानते हुए कि एमएनएफ अध्यक्ष के रूप में यह मेरा दायित्व है, मैं अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं और आपसे अनुरोध करता हूं कि आप इसे स्वीकार करें।
वर्ष 1990 में लालडेंगा के निधन के बाद जोरमथांगा एमएनएफ के अध्यक्ष बने थे। पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ के महासचिव क्रॉस्नेहजोवा ने कहा कि एमएनएफ की राष्ट्रीय कोर कमेटी और उसके राजनीतिक मामलों की कमेटी की बुधवार को बैठक होगी जिसमें यह तय किया जाएगा कि जोरमथांगा का इस्तीफा स्वीकार किया जाए या नहीं? एमएनएफ को इस चुनाव में केवल 10 सीटों पर जीत मिली है जबकि 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को 26 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
जोरमथांगा खुद भी अपनी आइजोल ईस्ट-I सीट पर जेडपीएम के उपाध्यक्ष लालथनसांगा से 2,101 वोटों के अंतर से हार गए। 60 साल से अधिक पुरानी पार्टी एमएनएफ को विपक्षी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) से करारी हार का सामना करना पडा है जिसे 2019 में निर्वाचन आयोग से मान्यता मिली थी। 40 सदस्यीय राज्य विधानसभा में जेडपीएम को 27 सीटों पर जीत मिली है। एमएनएफ मिजोरम में 3 बार- 1998, 2003 और 2018 में चुनाव जीतकर सत्ता में आई थी।(भाषा)