मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी - ग्राहकों पर बढ़ेगा भार!

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नई दिल्ली। प्रतिस्पर्धी कॉल चार्ज पाने के लिए मोबाइल ऑपरेटर बदलने के बावजूद सेलफोन नंबर वही रहने से संबंधित मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) सेवा शुरू होने का इंतजार कर रहे लोगों को अभी इंतजार करना होगा। माना जा रहा है कि इस मामले में आर्थिक भार ग्राहकों पर आएगा, दूसरी ओर यह सेवा इस साल के अंत तक ही लागू हो पाएगी।

मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सेवा के देश में शुरू होने को लेकर कई बाधाएँ दूर करना अभी बाकी है। इनमें प्रमुख बाधा है आर्थिक बोझ। प्रमुख जीएसएम ऑपरेटर चाहते हैं कि इस प्रावधान का विकल्प चुनने वाले ग्राहक एमएनपी की सहूलियत हासिल करने के लिए जरूरी नेटवर्क अपग्रेडिंग का खर्च उठाएँ।

सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने ट्राई से कहा है कि एमएनपी मुहैया कराने के लिए उसे अपने नेटवर्क की अपग्रेडिंग करनी होगी जिसमें करीब 1,200 करोड़ रुपए का खर्च आएगा और केवल 2 फीसदी एलीट ग्राहकों के ही इस सेवा का फायदा उठाने की उम्मीद है। बीएसएनएल ने कहा कि जिन ग्राहकों के लिए एमएनपी सेवा लागू की जा रही है यह खर्च उनसे वसूला जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका बोझ उन ग्राहकों पर न पड़े जिन्हें एमएनपी के कार्यान्वयन से कोई फायदा नहीं होगा।

आर्थिक बोझ का गणि

बीएसएनएल के फॉर्मूले से चला जाए तो पता चलता है कि हर ग्राहक को नंबर पोर्ट करने के लिए करीब 6,000 रुपए खर्च करने होंगे। मान लीजिए भारत की औसत 7 दूरसंचार कंपनियों को नेटवर्क अपग्रेड करने के लिए 1,200 करोड़ रु. खर्च करने होंगे। इस तरह देखें तो सेक्टर के लिए यह रकम 10,000 करोड़ रु. होगी। अगर 40 करोड़ मोबाइल ग्राहकों में से केवल 2 फीसदी एमएनपी की सेवा लेंगे तो 80 लाख ग्राहकों को नेटवर्क अपग्रेडेशन का खर्च उठाना होगा, जो करीब 6,000 रु. प्रति ग्राहक बैठेगा।

गाइडलाइन इसी माह

ट्राई मोबाइल पोर्टेबिलिटी के बारे में गाइडलाइन इस माह के अंत तक जारी कर देगा। इसकी फीस कितनी हो, इस बारे में 11 अगस्त को हमारी ओपन हाउस मीटिंग होगी। इस मीटिंग के 2 से 3 हफ्तों के भीतर मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी के लि‍ए फाइनल गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी।

बड़े उद्यमी करेंगे इस्तेमाल

माना जा रहा है कि जो ग्राहक एमएनपी इस्तेमाल करेंगे उनमें बड़े उद्यमी, प्रोफेशनल, बिजनेसमैन शामिल होंगे, जो भारी स्विचिंग खर्च बचाएँगे क्योंकि ऐसा न होने पर उन्हें यह रकम दोस्तों और कारोबारी साझेदारों को नए नंबर की जानकारी देने में खर्च करनी होती। जिन तक सूचना न पहुँचती, उन लोगों की मिसिंग कॉल, कंपनी के वेब पेज, ब्रोशर और बिजनेस कार्ड आदि अपग्रेड करने का खर्च अलग। ये ग्राहक इतना खर्च कर सकते हैं और उन्हें इस सेवा के लिए यह रकम देनी चाहिए।

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