महँगे एसएमएस से जेब काट रही है कंपनियाँ

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- धीरज कनोजिया

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नई दिल्ली। कड़े मुकाबले के कारण भले ही मोबाइल कंपनियाँ अपनी जेब ढीली कर आपको सस्ती कॉल का तोहफा दे रही है, लेकिन एसएमएस के जरिए वह आपकी जेब पर जमकर कैची भी चला रही है। मोबाइल कंपनियाँ सस्ती कॉल से कम हो रही आमदनी की भरपाई एसएमएस से अंधाधुंध कमाई करके कर रही है। कंपनियों के इस रुख पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अपनी नजर टेढ़ी कर ली है। ट्राई जल्द ही इन कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए निर्देश जारी कर सकता है।

कड़े मुकाबले के कारण मोबाइल कंपनियों को मजबूरी में कॉल दरें सस्ती करनी पड़ रही है। लेकिन इसकी भरपाई वे चंद पैसे के एसएमएस को रुपयों में बेचकर कर रही है। कंपनियाँ एसएमएस की आड़ में ग्राहकों की जेब पर जमकर कैची चला रही है। शायद आपको पता नहीं है कि जिस एसएमएस के लिए कंपनियां आपसे पचास पैसे से लेकर डे़ढ़ रुपए तक वसूल लेती है, उस एसएमएस की असल कीमत उन्हें सिर्फ दो से पाँच पैसे के बीच में पड़ती है।

ट्राई एसएमएस की कीमतों को वाजिब बनाने के लिए कई बार कह चुकी है। लेकिन कंपनियों के कान पर कोई जू नहीं रेंग रही है। सूत्रों के मुताबिक ट्राई इस बार कड़ा रुख अपना सकती है। सूत्रों ने बताया कि ट्राई अब एसएमएस की दरें कीमत के आधार पर तय करने के लिए एक नियम बनाने की तैयारी में है। इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए ट्राई जल्द मसौदा जारी करेगी। जिस पर सभी पक्षों की राय ली जाएगी। इंडस्ट्री से जु़ड़े सूत्र बताते है कि कंपनियों के कुल मुनाफे में दस से 20 फीसदी हिस्सा एसएमएस के जरिए ही आता है।

जानकार कहते है कि एक लाख करो़ड़ के दूरसंचार क्षेत्र में दस हजार करोड़ रुपए की आमदनी तो एसएमएस से ही आती है। जबकि एसएमएस पर सिर्फ दस हजार करोड़ रुपए की ही लागत आती है। हालाँकि मोबाइल कंपनियाँ ट्राई के एसएमएस में कटौती करने के रुख से सहमत नहीं है। ट्राई से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कंपनियों को एसएमएस पर प्रति शब्द के आधार पर कीमत वसूलनी चाहिए, लेकिन मोबाइल कंपनियों का तर्क है कि कड़े मुकाबले के कारण कॉल दरों में भारी कटौती के चलते उनके मुनाफे में काफी कटौती आई है। इसलिए एसएमएस को लेकर सरकार की ओर से कोई निर्देश देने की जरूरत नहीं है। इस मुद्दे को बाजार पर छोड़ देना चाहिए।

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