ए खुदा बंदों को महसूस हो तेरी मौजूदगी औ ख़ुदाई,
इस वास्ते तूने इस ज़मी पर इन्सान की "माँ" बनाई !
बहुत दूर बादलों के पार...रहती हैं वो ,
मेरी रगों में प्यार बनके बहती हैं वो !!
वो रोज़ मुझे आग़ोश में लेकर आँचल तले सुलाती थी,
लोरियाँ गाती माँ मिरी, गोद में थपकी दे झूलाती थी!!
मेरी चौखट से टकराकरआज भी बलाएं लौट जाती हैं ,
ये दुआएँ ही हैं मेरी माँ की जो अपना असर दिखाती हैं !
इबादत औ दुआ है रूहानी, मोहब्बत से दुलारा कीजिये,
वो माँ है हुज़ूर उसे बाइज़्ज़त प्यार से पुकारा कीजिये !