मां पर ओम व्यास ओम की कविता : मां मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है
मां, मां-मां संवेदना है, भावना है अहसास है
मां, मां जीवन के फूलों में खुशबू का वास है।
मां, मां रोते हुए बच्चों का खुशनुमा पलना है,
मां, मां मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है।
मां, मां लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
मां, मां पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है।
मां, मां आंखों का सिसकता हुआ किनारा है,
मां, मां गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है।
मां, मां झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
मां, मां मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है।
मां, मां कलम है, दवात है, स्याही है,
मां, मां परमात्मा की स्वयं एक गवाही है।
मां, मां त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
मां, मां फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है।
मां, मां अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
मां, मां जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है।
मां, मां चूड़ी वाले हाथों के मजबूत कंधों का नाम है,