माँ पर चेतना भाटी की लघुकथा : पहियों वाली कुर्सी

Heart Touching Short Story on Mother's Day
वे प्रसिद्ध पारंगत नृत्यांगना थीं। मगर पुत्र के असामयिक निधन ने उन्हें इस कदर तोड़ कर रख दिया कि फिर कभी उनके पैर नहीं थिरके और वे व्हीलचेयर पर आ पड़ीं। 
 
शहर में हुए दंगों  का शिकार हुआ महरी का जवान बेटा चल बसा। गरीब विधवा ने बड़ी मुश्किलों से पाला-पोसा था उसे, लोगों के घरों में झूठे बर्तन माँज-माँज कर। 
 
कुछ दिनों बाद वह फिर काम पर चली।  
 
मालकिन ने पूछा - "आ गई बाई" 
 
 "जी, बीबी जी " : कह कर आँसू पीते हुए वह सोच रही थी- मेरे पास कहां है पहियों वाली कुर्सी?
    खड़े रहने को ठौर नहीं, चलते ही जाना है।"

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