Motivational Story : ईश्वर बचाएगा

रविवार, 18 जुलाई 2021 (10:48 IST)
ओशो रजनीश अपने प्रवचनों में प्रेरक कहानियां सुनाते रहते हैं। एक बार उन्होंने एक साधु की कहानी सुनाई जो बड़ी ही मजेदार है। आप भी इस कहानी को पढ़ें। एक बार की बात है कि एक गांव में एक संत रहता था जो ईश्वर का बहुत बडा भक्त था और वह रोज उनका ध्यान करता, भजन गाता और तपस्या करता था। गांव के लोग भी उसे अच्छा मानते थे और उसका सम्मान करते थे। उसका ईश्वर पर अटूट विश्‍वास था।
 
 
फिर एक बार गांव की नदी में उफान उठा और गांव में भीषण बाड़ आ गई। चारों ओर जल ही जल था। जल प्रलय हो गई था। सभी लोग अपनी अपनी जान बचाकर भाग रहे थे। कोई ऊंचे स्थान की ओर भाग रहा था तो कोई गांव छोड़कर ही भाग रहा था। परंतु सभी ने देखा की संत महाराज अपनी भी अपनी कुटिया के पास पेड़ के नीचे बैठे प्रभु का भजन कर रहे हैं। सभी ने उन्हें यह जगह छोड़कर अपने साथ चलने की सलाह दी। परंतु संत महाराज ने कहा कि तुम लोग अपनी जान बचाओ, मेरी जान तो ईश्‍वर बचाएगा। यह सुनकर सभी वहां से चले गए।
 
फिर धीरे धीरे जल का स्तर बढ़ने लगा और पानी संत महाराज की कुटिया में घुस गया और संत महाराज की कमर तक पानी पहुंच गया। इतने में वहां से एक नाव गुजरी। नाविक ने कहा, महाराज आप इस नाव पर सवार हो जाइये मैं आपको सुरक्षित स्थान पर उतार दूंगा। नाविक की बात सुनकर संत महाराज ने कहा कि नहीं मुझे तुम्हारी सहायता की आवश्‍यकता नहीं, मुझे तो मेरा ईश्वर बचाएगा।... नाविक ने बहुत बार कहा कि महाराज जिद ना करें बैठ जाएं। परंतु महाराज नहीं मानें। उन्हें तो अपने भगवान पर अटूट विश्‍वास था। नाव वाला वहां से चुपचाप चला गया।
 
कुछ बाढ़ और प्रलयंकारी हो गयी और संत महाराज ने तब एक वृक्ष पर चढ़ना ही उचित समझा। वृक्ष पर बैठकर वे ईश्वर को याद करने लगे। तभी अचानक उन्हें गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दी। उनके सिर के उपर एक हेलिकोप्टर था जो उनकी सहायता के लिए आ पहुंचा था। बचाव दल ने एक रस्सी लटकाई और संत महाराज को उस रस्सी को जोर से पकड़ने को कहा। 
 
परंतु वह संत महाराज भी बड़ा अड़ियल था। वह फिर बोला- 'मैं इसे नहीं पकड़ सकता क्योंकि मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा।'... उसकी जिद के आगे बचाव दर को भी हार मानना पड़ी और वह भी लौट गया।....कुछ ही देर में बाढ़ ने वृक्ष को अपनी चपेट में ले लिया और संत महाराज की मृत्यु हो गई।
 
मृत्यु के बाद संत महाराज स्वर्ग पहुंचे और तब अपने भगवान से बोले, 'हे प्रभु! मैंने तुम्हारी इतनी भक्ति की, अपना विश्‍वास कभी टूटने नहीं दिया और हर तरह से पूजा पाठ की परंतु जब मैं पानी में डूब कर मर रहा था तब आप मुझे बचाने क्यों नहीं आए?
 
इस पर भगवान बोले, 'हे संत महाराज मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूं इसीलिए मैं तुम्हारी रक्षा करने के लिए एक नहीं बल्कि तीन बार आया। पहली बार ग्रामीणों के रूप में, दूसरी बार नाविक के रूप में और तीसरी बार हेलीकॉप्टर के बचाव दल के रूप में, परंतु तुम मेरे  इन अवसरों को पहचान नहीं पाए। अब बताओं मैं क्या करता?
 
सीख : इस कहानी से सीख यह मिलती है कि ईश्‍वर तो हमें बचाना चाहता है परंतु हम ही नहीं बचना चाहते हैं। अर्थात आपके जीवन में कई अवसर आते हैं परंतु आप उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं। अवसर किसी की प्रतीक्षा नहीं करते हैं वे तो आते हैं और चले जाते हैं। अत: उन्हें पहचान कर उनका लाभ उठा लेना चाहिए।

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