महाभारत में भीष्म पितामह ने कहा था युधिष्ठिर से कि दीर्घसूत्रा मनुष्य का जीवन नष्ट ही समझो। अकर्मण्य, आलसी और भाग्य के भरोसे रहने वाला मनुष्य जीवन में कभी कुछ नहीं कर पाता है। इसीलिए कहते हैं कि काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब।