विजयवर्गीय ने कहा कि आज से नहीं, बल्कि दशकों पहले से कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करती रही है। 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने संविधान का मजाक उड़ाते हुए देश में आपातकाल थोप दिया था। कांग्रेस के 'युवराज' अपनी ही सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़कर संसद एवं एक निर्वाचित सरकार का अपमान कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इसी तरह व्यापमं मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत प्रदेश सरकार द्वारा किसी भी गड़बड़ी की बात को खारिज कर चुकी है, लेकिन फिर भी कांग्रेस लगातार इस मुद्दे को अदालतों में भटका रही है। उन्होंने कहा कि कांगेस पिछले चुनाव के समय से लगातार अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ती रही है, लेकिन जब कांग्रेस ने देखा कि उनकी इस बात को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है, तो अब वह निर्वाचन आयोग पर दबाव डाले जाने की बात कहकर नया प्रपंच रच रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लगी हुई है। ऐसी स्थिति में किसी रथयात्रा या रैली की अनुमति देना निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। कांग्रेस को इस मुद्दे पर जो भी शिकायत है, उसके बारे में निर्वाचन आयोग से बात करनी चाहिए, लेकिन वह संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा का आदर करने वाली भारतीय जनता पार्टी पर अकारण कीचड़ उछाल रही है। (वार्ता)