उन्होंने कहा कि जनसंपर्क के दौरान वे एक भाजपा कार्यकर्ता से मिले थे, जिसे उन्होंने व्यक्तिगत संबंधों और बतौर जनप्रतिनिधि अपने द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर वोट दिए जाने का आग्रह किया था। उन्होंने दावा किया कि इसी दौरान उन्होंने भाजपा कार्यकर्ता से उनका काम देखकर मतदान करने का कहा और इसी संदर्भ में 'पार्टी गई तेल लेने' कहा गया।
पटवारी ने अपना बचाव करते हुए कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र में चुनाव एक प्रक्रिया है, जिसमें प्रतिद्वंदी राजनीतिक लोग भी देशसेवा की भावना से ही राजनीति में काम करते हैं, लिहाजा वे सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता का सम्मान करते हैं।
भाजपा ने साधा निशाना : दूसरी ओर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता उमेश शर्मा ने कहा कि पटवारी अपने बचाव में अब भले ही कुछ भी बोलें, लेकिन यह वीडियो इस बात का प्रमाण है कि वे निजी स्वार्थ आधारित राजनीति में विश्वास रखते हैं। उन्होंने मतदाताओं के सामने स्पष्ट कर दिया है कि उनके निजी हितों के आगे उनकी खुद की पार्टी, संगठन और नेतृत्व बौना है। पटवारी वर्ष 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में इंदौर जिले की राऊ सीट से जीते थे। वे 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में इसी सीट से कांग्रेस के टिकट के दावेदार हैं।