मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी देश की चुनावी राजनीति में जो कुछ भी कर रहे हैं वह यह कि लगातार संगठित और मज़बूत होते हिंदू राष्ट्रवाद के समानांतर अल्पसंख्यक स्वाभिमान और सुरक्षा का तेज़ी से ध्रुवीकरण कर रहे हैं। यह काम वे अत्यंत चतुराई के साथ संवैधानिक सीमाओं के भीतर कर रहे हैं। मुमकिन है उन्हें कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों के उन अल्पसंख्यक नेताओं का भी मौन समर्थन प्राप्त हो जिन्हें हिंदू राष्ट्रवाद की लहर के चलते इस समय हाशियों पर डाला जा रहा है। बिहार के चुनावों में जो कुछ प्रकट हुआ है उसके अनुसार, ओवैसी का विरोध अब न सिर्फ़ भाजपा के हिंदुत्व तक ही सीमित है, वे तथाकथित धर्म निरपेक्ष राजनीति को भी अल्पसंख्यक हितों के लिए ख़तरा मानते हैं। बिहार चुनाव में भाजपा के ख़िलाफ़ विपक्षी गठबंधन को समर्थन के सवाल पर वे इस तरह के विचार व्यक्त कर भी चुके हैं।