विकास की बुलंदी पर बुंदेलखंड

धर्म-संस्कृति, प्रकृति की विशेष कृपा वाली बुंदेली धरती। शौर्य एवं संस्कार की मिसाल। विरासत से समृद्ध बुंदेलखंड की गिनती 5 साल पहले तक ऐसे क्षेत्र के रूप में होती थी जहां बुनियादी सुविधाओं के अभाव, बदहाल जीवन और पिछड़ेपन को नियति का हिस्सा मान लिया गया था। पर, कहते हैं न कि जब नेक नीयत के साथ कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो प्रयास का परिणाम चमत्कार से कम नहीं होता। 5 साल में बदला और नया बुंदेलखंड सरकार की दृढ़ इच्छा का चमत्कार ही लगता है। 
 
बुंदेलखंड मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के वनवास काल के दौरान उनके प्रिय और सर्वाधिक प्रवास काल वाले स्थली की रही है। रामचरितमानस के जरिये पूरी दुनिया में मर्यादा श्रीराम के आदर्शों को पहुंचाने वाले गोस्वामी तुलसीदास की धरती की रही है। आजादी की पहली लड़ाई (1857) में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा देने वाली रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान स्थली की रही है। प्रभु श्रीराम के पद से अलंकृत इस धरा पर प्रकृति व परमात्मा की असीम अनुकंपा रही है। पर, संभावनाओं के बावजूद इस पावन धरा के लिए पूर्व की प्रदेश और केंद्र की सरकारों ने कुछ भी नहीं किया। 
 
पूर्व की सरकारों में बदहाल बुंदेलखंड अब 'डबल इंजन' की सरकार में विकास के बुलंदी की गाथा लिख रहा है। 2017 में योगी आदित्यनाथ के प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद तो मानो यहां विकास को पंख ही लग गए। सिंचाई परियोजनाओं, हर घर नल से जल और डिफेंस कॉरिडोर की सौगात पाने के बाद बुंदेलखंड विकास के नए एक्सप्रेसवे पर फर्राटा भरने जा रहा है। 36 महीने के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 28 महीने में तैयार करीब 297 किमी लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन के बाद इस पूरे क्षेत्र के विकास को नई गति मिलेगी।
 
बुंदेलखंड में लोगों का जीवन सुव्यवस्थित हो, इसके लिए सबसे पहली आवश्यकता पानी की थी। लोगों के लिए और उनके खेतों के लिए भी। पहली बार अगर किसी सरकार ने बुंदेलखंड के लोगों और यहां के खेतों की प्यास बुझाने के लिए शिद्दत से प्रयास किया तो वह डबल इंजन की मौजूदा सरकार ही है। मोदी और योगी की सरकार ने न केवल बुंदेलखंड के लोगों और खेतों के प्यास की चिंता की।

इसका परिणाम है कि आज अर्जुन सहायक नहर परियोजना, बंडई बांध परियोजना, चिल्ली-मसगांव, कुलपहाड़ स्प्रिंकलर प्रणाली, खेत तालाब योजना के तहत खोदे गए तालाबों से भरपूर पानी की उपलब्धता। आने वाले समय में केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट भी बुंदेलखंड में पानी के प्रचुर प्रबंधन में योगदान देने जा रहा है। यह प्रोजेक्ट उस नदी जोड़ो महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा है जिसका सपना स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था। 
 
पानी के संकट के अलावा बुंदेलखंड सरकारों की उपेक्षा से उद्योगशून्यता का पर्याय बन रहा था। मोदी-योगी सरकार ने बुंदेलखंड के माथे से यह दाग भी मिटा दिया है। ऐतिहासिक डिफेंस कॉरीडोर का मेगा प्रोजेक्ट इस धरा पर एक नई औद्योगिक क्रांति है। डिफेंस कॉरीडोर वृहद स्तर पर निवेश और रोजगार की संभावनाओं से बुंदेली धरती के लोगों का भविष्य स्वर्णिम बना रहा है।

अनुमानतः डिफेंस कॉरीडोर में पौने दो लाख करोड़ रुपये के उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इससे  रक्षा उत्पाद आयात करने वाला भारत निर्यातकर्ताओं में शुमार हो जाएगा। इसके साथ ही सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारा भी विकसित कर रही है जहां फूड प्रोसेसिंग, मिल्क प्रोसेसिंग, हैंडलूम आधरित यूनिट बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का आधार बनने जा रही हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और डिफेंस कॉरिडोर के जरिये लिखी जा रही विकास की इबारत की ही देन है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में वहां जमीनों के दाम पांच से छह गुना तक बढ़ गए हैं। 
 
डबल इंजन सरकार में बुंदेलखंड का विकास एक्सप्रेसवे, डिफेंस कॉरीडोर और सिंचाई-जल परियोजनाओं तक ही ठहरने वाला नहीं है। इस विकास यात्रा को आगे और तीव्रतर करने की तैयारी है। इसके तहत योगी सरकार ने बजट में बुंदेलखंड की विशेष योजनाओं के लिए 500 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है।

विरासत से समृद्ध यह क्षेत्र सांस्कृतिक पर्यटन का हब भी बनेगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश चित्रकूट धाम तीर्थ विकास परिषद के लिए 3.5 करोड़ आवंटित किए गए हैं। गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि राजपुर के साथ ही महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली का समग्र विकास भी कराया जा रहा है। पर्यटकों को शानदार सुविधा देने के लिए योगी सरकार चित्रकूट में हवाई अड्डा संचालित करने को तैयार है। यही नहीं जहां डकैतों के डर से कभी कोई कदम नहीं रखता था, उस पाठा में बनने जा रहा टाइगर रिजर्व देश-दुनिया के पर्यटकों को लुभाएगा।
 
सरकार चित्रकूट के समग्र विकास को लेकर कितनी संजीदा है, इसे इससे समझा जा सकता है कि हाल की चित्रकूट यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने  3287 लाख रुपए की 15 परियोजनाओं का लोकार्पण व 8255 लाख रुपए की 28 परियोजनाओं का शिलान्यास किया था।

इन तमाम सौगातों के बीच 15 हजार करोड़ रुपए की लागत से बने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन इस क्षेत्र के लिए विकास के नए युग की शुरुआत होगी। इस एक्‍सप्रेस-वे के शुरू होने से बुंदेलखंड के लोगों के लिए दिल्‍ली और लखनऊ का आवागमन बेहद आसान हो जाएगा। रोड इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होने से बुंदेलखंड में उद्योग व रोजगार को भी नई बुलंदी मिलेगी। (आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। वेबदुनिया का इससे सहम‍त होना जरूरी नहीं है)

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