कन्या पूजन : शक्ति के प्रवाह में भक्ति के निर्वाह की परंपरा

साल के दोनों नवरात्र के अंतिम दिन गोरक्षपीठ में कन्या पूजन की परंपरा है। पीठ के पीठाधीश्वर या उत्तराधिकारी वर्षों से इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। गुरुवार 30 मार्च 2023 को भी पीठ के मौजूदा पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस परंपरा का निर्वहन किया। इस अवसर पर परंपरा के अनुसार मां दुर्गा स्वरूपा कन्याओं के अपने हाथ से पांव पखारे, भोजन कराया और दक्षिणा देकर उनको विदा किया।
 
दरअसल पीठ की यह परंपरा मातृशक्ति के प्रति पीठ के सम्मान का प्रतीक है। साथ में यह संदेश भी कि नारी प्राचीन काल से सामर्थ्य, साहस एवं एवं शक्ति का प्रतीक रही है। उसे अपने इन खूबियों के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। जिस दिन वह अपने बल, बुद्धि को जान जाएगी। उस दिन उसे इतिहास रचने से कोई रोक नहीं सकेगा। अतीत में ऐसा हो चुका है। वर्तमान में हो रहा है। भविष्य में होता रहेगा। कन्या पूजन की इस परंपरा के पीछे गोरक्षपीठ की यही मंशा रही है।
 
मातृशक्ति को सशक्त बनाने के लिए पीठ की शैक्षिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका : मातृशक्ति को जागरूक करने की पीठ की यह परंपरा सिर्फ पूजा तक नहीं रही है। उसे शिक्षित एवं स्वावलंबी बनाने के लिए भी पीठ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश को केंद्र में रखकर कई काम किए हैं। पीठ के शैक्षिक प्रकल्प महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद करीब एक सदी से आधी आबादी के शैक्षिक पुनर्जागरण और आर्थिक स्वावलंबन का अलग-अलग तरीकों से पूरे पूर्वांचल में अलख जगा रहा है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शिक्षण संस्थाओं में से कई में बालिकाओं के लिए सह-शिक्षा (को-एजूकेशन) की व्यवस्था है।
 
महाराणा प्रताप बालिका इंटर कॉलेज, महाराणा प्रताप महिला पीजी कॉलेज, महाराणा प्रताप टेलरिंग कॉलेज, दिग्विजयनाथ बालिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय, महाराणा प्रताप मीराबाई महिला छात्रावास, दिग्विजयनाथ महिला छात्रावास, गुरु श्रीगोरक्षनाथ स्कूल ऑफ नर्सिंग, योगिराज बाबा गम्भीरनाथ निशुल्क सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र जैसे करीब एक दर्जन संस्थान सिर्फ महिलाओं के लिए समर्पित हैं। इन संस्थानों से निकलीं हजारों बालिकाएं हर वर्ष अपने जीवन पथ पर ससम्मान आगे बढ़ रही हैं।
 
मुख्यमंत्री बनने के बाद पीठ की इस परंपरा को और विस्तार मिला : मुख्यमंत्री बनने के बाद पद के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने पीठ की इस परंपरा को और विस्तार दिया। मातृशक्ति की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन संबंधी इन योजनाओं का दायरा किसी बालिका के जन्म से लेकर उसके लालन-पालन, शिक्षा, विवाह से लेकर जीवन पर्यंत तक है।
 
मसलन मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना का लाभ बालिका के जन्म से लेकर उसकी पढ़ाई तक के विभिन्न चरणों में मिलता है। इसी तरह मुख्यमंत्री सामूहिक योजना के तहत मिलने वाला का लाभ भी हर वर्ग की पात्र महिलाओं के लिए है। यही स्थित निराश्रित महिला पेंशन में भी है। सरकार ने पेंशन बढ़ाने के साथ इस योजना में पहले से तय उम्र सीमा को भी खत्म कर दिया।
 
मिशन शक्ति सरकार की महत्वपूर्ण योजना : महिलाओं को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाने और उनमें सुरक्षा का भाव जगाने के लिए "मिशन शक्ति" योगी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। करीब तीन साल पहले शारदीय नवरात्र के दौरान बलरामपुर से इसकी शुरूआत खुद में एक बड़ा संदेश थी। बलराम के ही तुलसीपुर में देश की शक्तिपीठों में से एक मां पाटेश्वरी देवी का मंदिर है।
 
यकीनन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा (बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ) और गोरक्षपीठ की शक्ति (देवी) उपासना की परंपरा के अनुसार उत्तर प्रदेश आने वाले वर्षों में नारी सशक्तिकरण, स्वावलंबन और सुरक्षा की नजीर बन रहा है। घर से लेकर बाहर तक किसी भी समय महिलाएं अब खुद को पहले की अपेक्षा अधिक सुरक्षित महसूस करती हैं। मानसिक रूप से और आर्थिक रूप से भी।
 
महिलाओं में सुरक्षा का यह भाव लाने में प्रदेश सरकार द्वारा शुरू अन्य योजनाओं के साथ एंटी रोमियो स्क्वाड, पीएसी में महिला बटालियनों का गठन, पिंक बूथ, हर थाने पर महिला हेल्प डेस्क, थानों महिला पुलिस कर्मियों की बीट पर तैनाती, अवंती बाई लोधी, उदा देवी एवं झलकारी बाई वीरांगना एवार्ड आदि भी हैं।
 
लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद चैत्र नवरात्र के दौरान योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर नवरात्रि‍ के पहले दिन से ही पुलिस विभाग की ओर से महिला सुरक्षा को लेकर विशेष अभियान इसी की एक कड़ी थी। इसी क्रम में बेटियों में सुरक्षा का भाव और मजबूत करने के लिए एंटी रोमियो स्क्वाड को और सक्रिय करने का निर्देश भी सीएम की ओर से दिया गया था।
 
मानसून सत्र का एक दिन महिलाओं को समर्पित : यही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर मानसून सत्र के दौरान 22 सितंबर 2022 को उत्तर प्रदेश विधानमंडल का एक दिन सिर्फ महिलाओं के लिए समर्पित कर दिया गया। इस दिन महिला विधायक ही सदन की पीठ की अध्यक्ष थीं। नेता सत्ता पक्ष और नेता प्रतिपक्ष के औपचारिक संबोधन के बाद सिर्फ महिलाओं ने ही सदन में अपनी बात रखी। योगी ने अपने संबोधन की शुरुआत अथर्ववेद के इस श्लोक से की, 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः' (जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं)। इस तरह उनके प्रयास एवं पहल के नाते यह तारीख इतिहास के स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गई।

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