lockdown में कुछ बातें बड़ी अच्छी भी हो रही हैं। भगवान के अंश, यानि मानव भगवान यानि पंचतत्व भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि और न से नीर को स्वच्छ करने का कारण (बीमारी के डर से ही) बन गया है।
चूंकि मैंने बाद में देखना शुरू किया सो वह मुझे उसकी पहले की कहानी बताने लगी - ‘‘देखो माँ... ये जो राजकुमारी है ना... इसके हाथों में जादू है और ये एक राजकुमार है... और ये दूसरी वाली है ना...ये राजकुमारी की बहन है...। ये जो जादू के हाथों वाली राजकुमारी है ना... जब ये दुखी या गुस्सा होती है ना... तो इसके हाथों से बर्फ निकलना शुरू होती है, और सब कुछ जम जाता है और बर्फ का तुफान आ जाता है। जैसे अभी है...’’ मैंने स्क्रीन पर देखा तब मैं उस जगह की सुन्दरता की तारीफ ही कर रही थी कि कितना सुन्दर है... एकदम साफ बर्फ...
और उसकी ये बात चलते-चलते फिल्म की जादुई हाथों वाली राजकुमारी भागती जा रही थी... उसकी बहन मौत की कगार पर थी... बहन का दोस्त राजकुमार भी क्रोधित हो उसे मारने को भाग रहा था। तभी दोनो राजकुमारी बहने मिलती हैं गले लगती हैं और ठंड से मरने जा रही राजकुमारी ठीक होने लगती है क्योंकि जादुई राजकुमारी जैसे ही बहन से गले मिलती है, उसके हृदय में प्यार उमड़ता है... वो खुश हो जाती है और पूरे बर्फ से ढके पहाड़, वृक्ष, महल, मकान, बगीचे सब पर से बर्फ हट जाती है और चारों ओर हरियाली, फूल और खुशियाँ...।
ये संदेश आज के माहौल में भी कितना सही/सटीक लग रहा है। एक बीमारी के रूप में कोई विपदा आई है। क्रोध-दुख और निराशा से माहौल, वातावरण खराब व नकारात्मक ही होगा। लेकिन यदि हम जो मिल रहा है उसमें ही प्रसन्न संतुष्ट व सकारात्मक रहेंगे तो यकीनन वातावरण भी सकारात्मक ही रहेगा।