नोटबंदी का असर, महिला बाज़ार पर...

नोटबंदी को लेकर पूरे देश में अफरा तफरी का माहौल है, आम आदमी से लेकर खास कमोबेश सभी को दिक्कत हो रही है। घंटों लाइन में खड़े होकर पैसे जमा करना या निकालना एक बड़ी मुसीबत हो रही है सभी के लिए। ऐसे में अगर सबसे अधिक किसी को परेशानी हो रही है तो वो ऐसे लोग हैं जो दिनभर की मजदूरी पर निर्भर होते हैं। 

 
 इसी तरह की समस्याओं से दो चार हो रहीं है सिविक सेंटर के पास की महिला स्ट्रीट वेंडर्स.. सेवा दिल्ली की ओर से लगने वाले इस बाजार में केवल महिलाएं अपनी दुकान लगाती हैं और दिन भर की कमाई से अपना घर चलाती हैं। लेकिन इस नोटबंदी की वजह से वो खासी परेशान हो रहीं हैं। अक्सर ऐसा हो रहा है कि यहां ग्राहक आते हैं और नोट बदलने के बहाने पुराने नोट दे कर दो सौ से तीन सौ की खरीदारी करना चाहतें हैं, जिससे अब इन महिला दुकानदारों के सामने पुराने नोट लेना और नए नोटों के बदले खुले पैसे देना एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। 
 
 कारण साफ है कि नोटबंदी के चलते मार्केट से 100-100 के नोटों की भारी किल्लत हो गई है। 40 साल की रेखा बताती है कि पहले वो एक दिन में तीन हजार से लेकर चार हजार तक की कमाई कर लेती थी लेकिन आज हालत यह है कि कि 5-6 सौ से ज्यादा की बिक्री नहीं हो पा रही है। रेखा के सामने बड़ी समस्या यह आ रही है कि ग्राहक 500 के या हज़ार के पुराने नोट लेकर आते हैं जिसे वो नहीं ले पा रही हैं। इसके अलावा बहुत सारे ग्राहक 2000 के नये नोट ला रहें हैं लेकिन उनके पास खुले रुपये नहीं होने की वजह से उनकी बिक्री प्रभावित हो रही है। दूसरी दुकानदार सावित्री ने बताया कि आज सुबह चार बजे वो बैंक की लाइन में लगीं जिससे कि उनका नंबर सबसे पहले आ सके। बैंक खुलने के साथ ही उन्होंने पुराने नोट बदलवा कर 4 हजार रुपये के खुले लिए। उसके बाद वो दोपहर के एक बजे अपना दुकान लगा सकीं। सावित्री ने बताया कि हम पहले सुबह 8 बजे इस बाजार में दुकान लगा लेते थे लेकिन इस नोटबंदी की समस्या की वजह से वो अब देर से दुकान लगा पाती है जिससे उनकी आय प्रभावित हो रही है। 
 
50 साल की हीरा ने हमें बताया कि पिछले 5 सालों से वो अपनी दुकान यहां लगा रहीं है लेकिन ऐसी दिक्कत पहले कभी नहीं हुई। वो कहती है कि हमें परेशानी तो हो रही है लेकिन सरकार के इस निर्णय में वो अपना पूरा सहयोग देंगी। उनके मुताबिक अगर काला धन और भ्रष्टाचार रुके तो उन जैसे सैकड़ों महिला कामगारों की माली हालत सुधरेगी। गौरतलब है कि यहां प्रत्येक रविवार को लगभग 150 से 200 महिलाएं अपना दुकान लगाती हैं जिनमें से अधिकांश के पास अपने बैंक खाते नहीं हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि ये महिलाएं छुट्टे कहां से लाएं ? और अगर यह पुराने नोट लेकर अपना सामान बेचें तो उस पुराने नोट को कैसे बदलवाएं.. और अगर इनके पास 2000 के खुले ना हों तो इनकी दुकानदारी कैसे चले.. ये सभी उस दिन का इंतजार कर रहीं हैं कि बाजार में नोटो की किल्लत खत्म हो और वह पहले जैसे अपना व्यवसाय कर सकें।  

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