विश्वसनीयता के गुणी श्वान

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
पिछले साल हनुमनथप्पा को बर्फ से निकालने में आरवीसी के दो एआरओ श्वानों ने अहम् भूमिका निभाई थी तथा कुछ वर्षों पहले मुंबई सीरियल ब्लास्ट हमले में आतंक के खिलाफ अहम भूमिका निभाने वाले 'जंजीर' नामक श्वान की कुछ दिनों पूर्व मृत्यु के समाचार पढ़कर लोगों की आंखें नम हो गई थीं।
 
देखा जाए तो श्वान खतरा सूंघ लेने में माहिर होते हैं। इनके प्रशिक्षण और देखभाल पर सुरक्षा बल गौर कर रहा है। सूंघने की क्षमता के कारण श्वान दस्ते आपदा प्रबंधन में भरोसे लायक सिद्ध हुए हैं। आतंकवादियों द्वारा रखे जाने वाले विस्फोटक पदार्थों को सूंघकर देश में होने वाली जान-माल की हानि को ये कम करने में अपनी अहम् भूमिका अदा करते हैं। विदेशों में पालतू श्वान की भावनाओं को समझने की दिशा में जापान ने मशीन भी ईजाद की है।
 
श्वान के प्रति जापान ही नहीं, भारत में भी प्राचीन समय में उसकी भावनाओं को समझा जाता रहा है। पांडवों के हिमालय जाते समय धर्मराज के संग श्वान भी साथ था। भारत में श्वान के लिए आज हर घर में रोटी रखी जाती है। खेतों व घरों में सुरक्षा हेतु इन्हें पाला जाता है। विदेशों में खासकर ब्रिटन में श्वान की पूंछ काटे जाने का रिवाज है, जो कि अत्याचार की श्रेणी में आता है। अंतरराष्ट्रीय बैठकों में इसका मुद्दा उठाया जाकर इस पर रोक लगाई जाना चाहिए।
 
श्वान के हितों एवं उनकी बेहतर देखभाल पर ध्यान देना होगा ताकि हमारी सुरक्षा के आधार मजबूत बन सकें। श्वान मालिकों को सबसे पहले उनकी बेहतर देखभाल करने पर ध्यान देना होगा ताकि हमारी सुरक्षा के आधार मजबूत बन सकें। आवारा श्वानों पर कड़ी निगरानी रखकर दूसरों को परेशानी न उठाना पड़े, ऐसी व्यवस्था की जाना चाहिए।
 

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