मैं बचपन से प्रतिभाशाली रहा हूं। अभिभावकों और गुरुजनों द्वारा "कूट-कूट" कर मेरे अंदर प्रतिभा भरी गई थी जो इतने गहरे में चली गई है कि जरूरत पड़ने पर कभी बाहर ही नहीं आ पाई। यही कारण रहा किे मैं अपनी प्रतिभा का दोहन नहीं कर पाया। बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि जो लोग अपनी प्रतिभा का दोहन नहीं कर पाते वे दूसरों की क्षमताओं के अवैध खनन मे लग जाते हैं। बिना देरी किए मैंने बड़ों की इस सलाह को एक कान से सुनकर (दूसरा कान बंद कर), मन में बैठाकर, अमल करने की ठान ली और इसी के दुष्परिणामों के चलते एक प्रतिष्ठान में फाइव डेज वर्किंग की नौकरी मेरे गले पड़ गई।
वीकेंड, हर वीक कर्मचारी को हर वीक संबल का कंबल दान करता है जिसमें वो वीकडेज़ में मिले ज़ख्मों को छुपाकर उन पर दवा-दारु का छिड़काव कर सकता है। मैं हर वीकेंड को यादगार और शानदार बनाने की कोशिश करता हूं लेकिन इससे पहले की मैं कुछ बना पाऊं वीकेंड मुझे ही बनाकर चलता बनता है। वीकेंड जाने के बाद ही मुझे पता चलता है कि ना तो मैं वीकेंड पर योग कर पाया और ना ही इसका और कोई सदुपयोग।
मैं लोकतांत्रिक देश का जिम्मेदार मतदाता और नागरिक हूं इसलिए मैं चुनी हुई सरकार को अहसास दिलाना चाहता हूं कि मैं हर कदम पर उसके साथ हूं, इसी कारण हर शुक्रवार की शाम को उसी तरह निश्चिंत हो जाता हूं, जिस तरीके से सरकारें पूरे 5 साल तक निश्चिंत रहती है। वीकेंड भारतीय रेल्वे की तरह डिरेल होते होते देरी से पहुंचता है लेकिन इसकी भरपाई करने के लिए जल्दी से विदा भी ले लेता है, इसकी विदाई मेरे लिए घर से बेटी की विदाई की तरह मार्मिक और धार्मिक होती है। हर रविवार की रात को मेरा मन भाव-विभोर होकर गाने लगता है, "अभी ना जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं।" हर शुक्रवार की शाम को मैं वीकेंड का हल्ला इसलिए भी मचाता हूं ताकि सोशल मीडिया पर मेरी सक्रियता देखकर मुझे बेरोजगार समझने वाले लोगों को मैं करारा जवाब दे सकूं।
जिस तरह से राजनीतिक दल चुनाव से पूर्व अपने-अपने दल का चुनावी घोषणा पत्र लाते हैं उसी तर्ज़ पर मैं भी हर सोमवार को अगले वीकेंड पर किए जाने वाले कार्यों की सूची रिहा कर देता हूं ताकि मुझसे किसी काम की उम्मीद रखने वाले अल्पसंख्यक लोगों की उम्मीद को अगले वीकेंड तक जिंदा रख सकूं। वीकेंड आने पर काम को मैं अगले वीकेंड तक उसी तरह से शिफ्ट कर देता हूं जैसे मरीज़ को आईसीयू से नार्मल वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। इस तरीके से आगे से आगे शिफ्ट करने से कई काम खुद-ब-खुद आत्महत्या कर लेते हैं और अंत में बहुत कम काम आपके कर-कमलों के हत्थे चढ़ते हैं जिससे आगे के वीकेंड्स के लिए कोई काम नहीं करने के लिए आप अपने आप को तरोताजा और फ्रेश रख सकते हैं।
वीकेंड का इंतजार 11 मुल्क ही नहीं बल्कि हर मुल्क का कामकाजी आदमी करता है लेकिन वीकेंड को पकड़ कर रखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। जब मेरी नई नई नौकरी लगी थी, तो कई वीकेंड्स देख चुके एक "सीनियर टाइप कलीग" ने चैन से सोना है तो जाग जाओ वाले अंदाज मुझे में बताया था कि, "वीकेंड केवल एक मायाजाल है इसके चक्कर में कभी मत फंसना, ये तुमको कभी संतुष्ट नहीं कर पाएगा। अगर वाकई तुम वीकेंड एंजॉय करना चाहते हो तो इस प्रकृति जनित वीकेंड के भरोसे मत रहना बल्कि वीकडेज़ के दौरान ऑफिस से बंक मारकर खुद अपने वीकेंड क्रिएट करना, यही क्रिएटीविटी तुमको अपने काम में भी मदद करेगी।" आज जब वीकडेज़ के दौरान काम के बोझ से मेरी हालत अर्थव्यवस्था से भी पतली हो जाती है तो उन सीनियर की दी हुई सीख यादकर मेरी चीख निकल जाती है। लेकिन फिर भी वीकेंड का आना किसी बाढ़ग्रस्त इलाके में मुख्यमंत्री का हवाई सर्वेक्षण कर ऊपर से फूड पैकेट और राहत सामग्री गिराने जैसी राहत देता है।