मजदूर का पसीना और कड़की किताब का आइडिया

मनोज श्रीवास्तव
किसी व्यक्ति की घनघोर कड़की का अंदाज लगाना है, तो उसके हेयरड्रेसर से संपर्क किया जाना चाहिए। सामान्य रुपए-पैसे की कड़की का पता यार-दोस्तों से लगाया जा-सकता है, लेकिन घनघोर कड़की का पता सिर्फ कटिंग बनाने वाला ही दे सकता है। आदमी जब उधार में कटिंग बनाने लगे, तब समझिए की वो घनघोर कड़की में है और ऐसी घनघोर कड़की में व्यक्ति उधार में बाल छोटे कराने की जगह सिर को सफाचट कराने की जुगत में रहता है। एक डर यह होता है कि बार्बर भी बार-बार उधार करने से रहा और हर महीने सैलून में घुसे तो धक्के खाने का दुसरा डर सामने देख होशियारी से एक उधार में छह महीने का काम निकाल सीधे सिर मुंडा लिया जाता है।
 
अब हमारे सोनू भाई एक दिन अपने हज्जाम मियां के पास पहुंचे और मुंडन की इच्छा जाहिर की, तो हज्जाम भाई तनिक चकराए और गौर से सोनू भाई की माली हालत पर चिंतन करने लगे। सुस्त हाल चेहरा, लाल चढ़ी हुई आंखें और बोझिल कदम देखकर हज्जाम भाई को उनका फुटपाथ प्रदर्शन हकीकत नजर आने लगा था । पर पुराने रहमोकरम की यादें इसे यकीन में बदलने को तैयार नहीं हुई, फिर भी उसे लगा कि बंदा कम से कम उसकी उधारी चुका ही देगा। हज्जाम को चिंतन से बाहर खीचकर सोनू भाई ने विस्फोट किया कि मुंडन का दाम वे नहीं देंगे बल्कि कोई दूसरे महाशय से दिलवाएंगे! हज्जाम को अब मजबूरन यकीन के छोर पर पहुंचने से कोई ताकत नहीं रोक पा-रही थी।
 
कुछ तो पुराने संबंध और दूकान की इमेज को ध्यान में रखकर बेचारे हज्जाम मियां तैयार हो गए। मुंडन करते हुए आदतन बतोलियों के तीर से जान लिया कि दांव लंबा लगने के योग हैं। एक मुंडन और लखपति ! मन ही मन हज्जाम भाई पुराने गुनाह याद करते हुए दुआ में लगे थे कि, ' ऐ खुदा बस इस बार थोड़ी देर अपुन के पुराने कर्म भूल जाना'। साथ ही उन्हें विश्वास था कि इनाम देने वाला इतना ऊंचा व्यक्ति है तो वादे से नहीं मुकरेगा। हज्जाम को सोनू भाई किसी फरिश्ते से कम नहीं लगे और उसे उनका दिमाग देखकर लगा कि यदि सोनू भाई कड़की भगाने के 101 तरीकों पर किताब लिखे तो दुनिया के बेस्ट सेलर राइटर बन सकते हैं जिनकी किताब ऑनलाइन बुकिंग में एमेजन का सर्वर क्रेश करा सकती है। आखिर घर बैठे कमाई के साथ भीषण गर्मी से निजात का नुस्खा किसे नापसंद होगा तो सर्वर क्रेश होना ही है ।
 
मुंडन पूरा हुआ और हज्जाम भाई लखपति बनते, इससे पहले खबर आई कि तीन शर्त पूरी होने के पहले हज्जाम भाई लखपति नहीं बन सकते। जिस सूरते हाल में सोनू भाई सैलून आए थे, लगभग उसी हाल में अब हज्जाम भाई होते लगे और रुआंसी शक्ल के साथ बोले, 'सोनू भाई ! उस अगले को बोलो कि मजदूर का पसीना सूखने के पहले उसकी मजदूरी मिल जाना चाहिए, यह उम्मत का हुक्म है। सोनू भाई को लगा कि अब कंही मुंडन का इनाम भी उनके मुंडे हुए सिर पर न आ-गिरे तो बीच का रास्ता निकालकर बोले, ' मिया तुमने फिर भी एक शर्त तो पूरी की है, इसलिए यकीनन एक तिहाई इनामी राशि पक्की समझो।

'हज्जाम भाई को लगा कि इस एक तिहाई राशि के दावे पर अब कोई बहाने बाजी काम न करेगी, फिर मजदूर की मजदूरी पसीना सूखने के पहले मिलना तय जानकर खुश भी थे। खैर एक तिहाई राशि और मजदूर के पसीने की बात के क्लेम पर उधर से जवाब आया कि चूंकि मुंडन वातानुकूलन कक्ष में हुआ था तो पसीना आने या सूखने का सवाल गैर लाजमी मुकर्रर किया जाता है।

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