'अपने बेटे की अपराध कथाओं में उनकी मांओं ने तरह-तरह से अपनी भूमिका निभाई है। फिल्म की कहानी से लेकर हकीकत की दुनिया तक आतंक मचाने वाले अपराधियों के प्रति आखिर क्या है उनकी मांओं का मनोविज्ञान'
अपराध की दुनिया में मां की भूमिका बेहद अहम रही है। कई ऐसे अपराधी हैं, जिन्हें उनके साथ ही उनकी मांओ को भी अब तक याद किया जाता रहा है।
जब बेटा कोई अपराध करता है तो ऐसे में उस क्रिमिनल की मां की तरफ से आने वाला ‘स्टेटमेंट’ बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। मां के उस ‘स्टेटमेंट’ पर ही कई बार बहस शुरू हो जाती है।
अपराध और मां की बात होती है तो बॉलीवुड की फिल्म ‘मदर इंडिया’ सबसे पहले जेहन में आती है। इस फिल्म में मां द्वारा की गई अपने अपराधी बेटे की हत्या ही एक मां का ‘स्टेटमेंट’ बन जाता है।
नरगिस अपने बेटे सुनील दत्त यानी बिरजू को बहुत प्यार करती हैं। लेकिन जब वो एक अपराधी में तब्दील हो जाता है तो वो खुद उस पर बंदूक तानकर गोली मार देती हैं।
हाल ही में कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों पर हमला कर उनकी हत्या कर देने वाला कुख्यात विकास दुबे मध्यप्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार किया गया है।
विकास की गिरफ्तारी के बाद उसकी मां सरला देवी का बयान मीडिया में आया है। उन्होंने कहा, ‘विकास को महाकाल ने बचा लिया’
यह गौर करने वाली बात है कि किस तरह एक मां का स्टेटमेंट कुछ ही दिनों में बदल गया है। जब विकास दुबे कानपुर में इस हत्याकांड को अंजाम देकर फरार हो गया था तब उसकी मां सरला देवी ने कहा था, ‘विकास जैसे अपराधियों का एनकांउटर कर देना चाहिए’
अपने अपराधी बेटों को लेकर एक मां के मन में क्या होता है या ऐसी मांओं का मनोविज्ञान कैसे काम करता है यह कहना मुश्किल है।
देश का सबसे चर्चित निर्भया गैंगरेप मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 22 जनवरी 2020 को चार दोषियों को फांसी पर लटकाने का फैसला सुनाया था। कोर्ट के फैसले से कुछ क्षण पहले दोषियों में से एक मुकेश की मां अंतिम क्षणों तक अपने बेटे की जिंदगी बख्श देने की भीख मांगती रही।
मुकेश सिंह की मां सुनवाई के बिल्कुल अंतिम चरण में अदालत कक्ष में आ गई थी। उसने पीड़ित निर्भया की मां की साड़ी पकड़कर बेटे की जान की भीख मांगी थी।
उसने कहा था, ‘मेरे बेटे को माफ कर दो, मैं उसकी जिंदगी की भीख मांगती हूं’
निर्भया की मां ने जवाब दिया था, ‘मेरी भी बेटी थी... उसके साथ क्या हुआ, मैं कैसे भूल जाऊं...? मैं इंसाफ के लिए इस 7 साल से इंतजार कर रही हूं’
मुकेश की मां जानती थी कि उसके बेटे ने एक जघन्य अपराध को अंजाम दिया है फिर भी बेटे को बचाने की भीख मांगती रही।
इधर निर्भया की मां करीब सात सालों तक अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष करती रही। इस दौरान उसे कई कानूनी दाव-पेंच और उतार-चढाव से गुजरना पड़ा।
‘दीवार’ फिल्म ने एंग्री यंगमेन अमिताभ बच्चन को बतौर सुपरस्टार स्थापित किया था। इस फिल्म की मां अमिताभ को अपने दूसरे बेटे शशि कपूर से ज्यादा प्यार करती है। लेकिन जब वो अपराध की दुनिया में एंट्री कर लेता है तो मां उसे छोड़कर अपने दूसरे पुलिस अफसर बेटे शशि कपूर का साथ देती हैं।
ठीक इसी तरह ‘वास्तव’ फिल्म में मां अपने अपराधी बेटे संजय दत्त की गोली मारकर हत्या कर देती हैं। इस फिल्म को ‘मदर इंडिया’ का रीमेक माना जाता है।
कुल मिलाकर फिल्मों की कहानियों से लेकर अपराध की हकीकत की दुनिया में क्रिमिनल्स की मांओं ने अपने-अपने लिहाज से खुद को परिभाषित किया है।
कहीं मां ने अपने अपराधी बेटे का साथ दिया है, उसे पुलिस की गोली से बचाने के लिए प्रार्थनाएं कीं हैं तो कहीं खुद मां ने अपने अपराधी बेटे के सीने पर गोली चलाकर उसकी हत्या की है।
मां, उसके इंसाफ, बेटे के लिए उसके प्यार या उसके मनोविज्ञान को कई तरह से अब तक देखा गया है। कई बार वो ‘मदर इंडिया’ बनकर सामने है तो कई बार सिर्फ एक ‘मां’। मां के मनोविज्ञान उसके मन को समझना शायद किसी के बस में नहीं।