बात गहरी है, और इससे निपटने के लिए गहराई से ही सोचना होगा। घटनाएं अगर समाज के बीच होती हैं, तो प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित भी समाज को ही करती हैं। ऐसी घटनाओं के लिए सिर्फ अपराधी या पीड़ित ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि वह समाज भी जिम्मेदार है जो सिर्फ देखने का कार्य करता है। समाज के बीच उत्पन्न हुई हर घटना, समाज के ही क्रियाकलापों का परिणाम है। या यूं कहें कि समाज ने कहीं न कहीं, भूलवश या जान बूझकर, कुछ तो गलत बोया है। कहीं तो चूक हुई है जिसकी सजा आज कोई भुगत रहा है, तो क्या पता कल आपका कोई अपना भी भुगत सकता है। यह बात तय है, क्योंकि बीमारी का इलाज नहीं हुआ है, वह बढ़ती जा रही है। वह किसी को तो संक्रमित करेगी, किसी को तो पीड़ित करेगी ही, तो आप क्यों नहीं।