चीनी सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री मोदी

# माय हैशटैग
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोशल मीडिया के महारथी यूं ही नहीं हैं। सोशल मीडिया में छाए रहने के सारे गुण उन्हें मालूम हैं। हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल वे अपने तरीके से करते हैं, चाहे फेसबुक हो चाहे ट्विटर। ब्लॉग हो या इंस्टाग्राम। उन्होंने चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का अध्ययन भी कर डाला। 
सभी को पता है कि चीन में गूगल, फेसबुक, ट्विटर आदि नहीं चलते। चीन के अपने प्लेटफॉर्म हैं। उन्होंने चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो को ज्वॉइन कर लिया था और अपना पहला संदेश भी चीनी भाषा में दे दिया था। चीन के राष्ट्रपति के जन्मदिन पर उन्होंने वीबो पर चीनी भाषा में जो संदेश दिया था, उसी से चीन के करोड़ों लोगों को पता चला कि उनके राष्ट्रपति का जन्मदिन उस दिन है। 
 
पिछले दिनों उन्होंने चीन के राष्ट्रीय दिवस पर भी संदेश दिया था। चीन के खिलाफ आक्रामक रवैया रखने वाले भारतीय प्रधानमंत्री ने चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने में कभी कोई कोताही नहीं बरती। अब ब्रिक्स सम्मलेन में चीन यात्रा के पहले उन्होंने फिर चीनी में संदेश दिया जिसके जवाब में कई देशों के राष्ट्रप्रमुखों ने उन्हें बधाई दी है। 
 
वीबो चीन का अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। यह ट्विटर और फेसबुक का वर्णसंकर संस्करण है। चीनी भाषा में 'वीबो' का अर्थ होता है माइक्रो ब्लॉग। वीबो में ट्विटर की तरह 140 कैरेक्टर की सीमा तय है। इसी के साथ इसमें फेसबुक की खूबियां भी हैं, जैसे आप इसमें इमेज, म्यूजिक, वीडियो, इमोशन आइकॉन आदि अटैच कर सकते हैं। हैशटैग भी इसमें इस्तेमाल किया जा सकता है। 
 
वीबो चीन की सबसे प्रसिद्ध वेबसाइट है और लगभग 30 प्रतिशत चीनी इंटरनेट यूजर इसका इस्तेमाल करते हैं। वीबो चीनी भाषा में है और हाल ही में इसने अपना अंग्रेजी संस्करण भी लांच किया है, लेकिन अंग्रेजी वीबो केवल वहां के सरकारी अधिकारियों के लिए ही है, आम आदमी उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। 
 
वीबो ने अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रखे हैं जिसमें से एक यह है कि अगर कोई व्यक्ति वहां बहुत ज्यादा समय बिताता है, तो वीबो उसे एक मैडल देता है, लेकिन यह मैडल भौतिक रूप से नहीं, बल्कि वर्चुअल रूप में ही होता है। फेसबुक और ट्विटर पर इस तरह के प्रयोग अभी नहीं हैं। 
 
चीन की कुल आबादी के लगभग आधे अर्थात 75 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं। वहां फेसबुक, ट्विटर, गूगल तो प्रतिबंधित है, लेकिन चीन ने उसके तोड़ अपने यहां बना रखे हैं। चीन ने अपना गूगल बना रखा है। इसका नाम है बाइडू। 
 
2005 में चीन में गूगल की एंट्री हुई थी, लेकिन 2009 आते-आते चीन ने इसमें सेंसरशिप का डंडा चला दिया। 2013 आते-आते गूगल का उपयोग करने वाले 2 प्रतिशत भी नहीं बचे। चीन ने गूगल को टक्कर देने के लिए और गूगल के एकाधिकार को नहीं मानने के लिए सन् 2000 में ही अपना सर्च इंजन बाइडू शुरू कर दिया था। 
 
बाइडू के पहले ही भारत में 'वेबदुनिया' अपना निजी हिन्दी सर्च इंजन और ई-पत्र सेवा शुरू कर चुका था। बाइडू का फायदा यह हुआ कि वह सरकारी संरक्षण और खर्चे में पला-बढ़ा। विदेशी सर्च इंजन के सामने भी उसने सेंसर का डंडा भी घुमाना शुरू कर दिया। चीन ने अपने यहां न केवल गूगल, बल्कि जी-मेल, गूगल डॉक्स, गूगल मैप्स और यहां तक कि एंड्राइड प्ले स्टोर भी ब्लॉक कर रखे हैं। 
 
चीन में वॉट्सएप भी नहीं चलता, उसने अपना वॉट्सएप बना रखा है। सुरक्षा का हवाला देकर उसने ट्विटर को भी बैन कर रखा है। चीन में गैरकानूनी डाउनलोड लिंक्स उपलब्ध करने वाला एक प्रमुख पोर्टल पायरेट बे भी प्रतिबंधित है। पायरेट बे कॉपीराइट वाले कंटेंट को फ्री में उपलब्ध करा देता है और चीन में इससे उसके कॉपीराइट कानूनों का उल्लंघन होता है। 
 
चीन में सालभर में विदेशी फिल्मों को रिलीज करने का भी कोटा तय है। 1 साल में 35 से ज्यादा विदेशी फिल्में रिलीज नहीं की जा सकतीं। चीन में ट्यूनीशिया जैस्मिन रिवॉल्यूशन के बाद सोशल मीडिया पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। 'जैस्मिन' फूल का नाम है, लेकिन चीन में 'जैस्मिन' शब्द को ही प्रतिबंधित कर रखा गया है। यहां तक कि फूलों के बाजार में जैस्मिन का फूल भी बिकने नहीं दिया जाता। स्नैपचेट पर भी रोक है और चीनी कंपनियां लगी हैं स्नैपचेट की तरह अपना प्लेटफॉर्म विकसित करने में। 
 
चीन की तरह जापान भी सोशल मीडिया को अपने नियंत्रण में रखना चाहता है। जापान में साम्यवाद नहीं है और अभिव्यक्ति की आजादी काफी सीमा तक है। जापान के लोगों ने अपनी संस्कृति के हिसाब से सोशल मीडिया का उपयोग शुरू कर रखा है। वे सोशल मीडिया के अनेक संदेशों को जापानी संस्कृति के हिसाब से सभ्य और शिष्ट नहीं मानते। एफएफ (फॉलो एंड फॉलोअर) का अर्थ जापानी भाषा में है- ‘एफएफ गई कारा शितसुरी सिमासु’ अर्थात मैं आपको फॉलो नहीं करता और आप भी मुझे फॉलो मत कीजिए।
 
भारत में सोशल मीडिया पर लोग किसी को भी फॉलो करने में हिचकिचाते ही नहीं। और तो और, यह आग्रह करने में भी नहीं चूकते कि कृपया मुझे फॉलो करें। जापान में अनजान लोगों से इस तरह के आग्रह करना अच्छा नहीं माना जाता। यह उनकी संस्कृति का हिस्सा नहीं है। 
 
जापानी लोग बहुत धीमे व फुसफुसाने के अंदाज में बात करते हैं और किसी के भी घर में घुसते ही सबसे पहले माफी मांगते हैं कि हमने आपके निजी क्षेत्र में प्रवेश किया, भले ही वे आपके निमंत्रण पर ही क्यों न आए हो। 
 
चीन और जापान में सोशल मीडिया के यूजर्स ने यह बात साबित कर दी है कि वे सोशल मीडिया की दुनिया में अपनी अलग राष्ट्रीय पहचान रखते हैं और अगर आपको हमारे सोशल मीडिया के क्षेत्र में आना है, तो हमारी भाषा में आइए। भले ही आप भारत के प्रधानमंत्री और सोशल मीडिया के सुपरस्टार क्यों न हो? कूटनीति कहती है कि भले ही दोनों देशों में कितनी भी तनातनी हो, इस तरह का व्यवहार सोशल मीडिया पर रखना ही चाहिए। 

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