एसएस (सोल सिस्टर्स), एसबी (सोल बिचेस- Soul Biches), पीबीएस (पाकिस्तान ब्यूटी सोसायटी), केजी (कराची गर्ल्स) जैसे नाम हैं पकिस्तान की युवतियों में लोकप्रिय होते जा रहे सीक्रेट फेसबुक ग्रुप्स के। पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक इन ग्रुप्स के सदस्यों की संख्या 15,000 तक है। इनमें से कुछ ग्रुप्स ने तो अपनी अलग वेबसाइट भी लांच कर दी है और वे लोकप्रिय भी होती जा रही हैं। इनमें वे युवतियां शामिल हैं, जो सोशल मीडिया को केवल मनोरंजन का जरिया नहीं, उससे ज्यादा समझती हैं। ये युवतियां पढ़ी-लिखी होती हैं। काफी पड़ताल के बाद केवल युवतियों को ही इसका सदस्य बनाती हैं।
पाकिस्तान के मुस्लिम रूढ़िवादी समाज में युवतियों द्वारा अपने प्रेम-संबंधों पर सलाह-मशविरे के लिए फेसबुक के सीक्रेट फेसबुक ग्रुप का उपयोग बढ़ता जा है। कहा जा रहा है कि ये ग्रुप्स एक-दूसरे का सशक्तीकरण कर रहे हैं। ऐसे ग्रुप्स में केवल युवतियों को ही सदस्य बनाया जा रहा है और वे युवतियां वहां अपनी निजी बातों पर भी खुलकर चर्चा कर सकती हैं; अपने प्रेम-संबंधों से लेकर अपनी सेहत और शरीर से संबंधित समस्याओं तक। फैशन और ज्वेलरी से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स और जिम की एक्सरसाइज तक। शादी, प्रेम संबंध, गर्भावस्था की सलाहें, सास-ससुर से रिश्ते इन समूहों में चर्चा का विषय होते हैं। ग्रुप में चर्चा के विषय नैतिकता से जुड़े भी होते हैं, जैसे मुझे शराब की लत लग गई है और अब क्या करूं? मुझे अपने फुफेरे भाई और छोटे मामा दोनों आकर्षक लगते हैं और दोनों ही मुझसे शादी करना चाहते हैं। कौन सही सलाह दे सकता है? मैं लेस्बियन सेक्स के प्रयोग करना चाहती हूं, यह ब्लैमेलिंग का कारन तो नहीं बन जाएगा?
इसमें एक-दूसरे के साथ अपनी कामयाबी के किस्से शेयर किए जाते हैं और नाकामियों के भी। इन ग्रुप्स में सदस्यों की संख्या बढ़ती जा रही है और बाकायदा ऐसे समूहों ने अपने नाम भी रख लिए हैं। ऐसे ही एक ग्रुप सोल बिचेस (Soul Biches) में 2 सप्ताह में 3 हजार से ज्यादा युवतियां शामिल हो गईं। इनमें से अधिकांश का मानना है कि फेसबुक के ये ग्रुप्स उनके लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हुए हैं, क्योंकि इनमें सदस्य पहले से किसी को भी नहीं जानते-पहचानते और इसी कारण यहां जो सलाहें मिलती हैं, वे निष्पक्ष होती हैं।
फेसबुक के इन सीक्रेट ग्रुप्स में सक्रिय युवतियां पाकिस्तान के शहरी उच्च और उच्च-मध्यम वर्ग की ही नहीं होतीं, छोटे शहरों की भी होती हैं। उन्हें ऐसे ग्रुप से सलाह और मार्गदर्शन भी मिलता रहता है, जो कई बार उनकी पढ़ाई और करियर में फायदेमंद होता है। कुछ ऐसी सलाहें भी उन्हें यहां मिल जाती हैं जिन पर वे अपने परिवार के लोगों से चर्चा नहीं कर पातीं। पाकिस्तान में एक वर्ग ऐसा भी है जिसे ये गतिविधियां पसंद नहीं, लेकिन उनके फतवे यहां नहीं चल पाते।
ये ग्रुप्स केवल युवतियों के ही हैं, लेकिन इनमें भी साइबर बुलिंग की समस्या आने लगी हैं। कुछ युवतियां यहां दूसरों पर दादागिरी दिखने से बाज नहीं आतीं, कुछ अभद्रता की सीमाएं लांघ जाती हैं, इस कारण अनेक युवतियां सदस्यता लेने के बाद भी निष्क्रिय हो जाती हैं और कई तो ग्रुप से बाहर का रास्ता चुन लेती हैं। ऐसे ही एक ग्रुप की संयोजक का कहना है कि सोशल मीडिया में आने के बाद युवतियों में जबरदस्त आत्मविश्वास आया है। ग्रुप की कई लड़कियां तो वास्तविक जीवन में भी दोस्त बन गई हैं और वे नियमित मिलती-जुलती भी हैं। उनकी सोच का दायर काफी बढ़ गया है। पाकिस्तान की युवतियां भी आधुनिक हैं और वे मर्यादा में रहते हुए पूरी आजादी से जीवन जीती हैं। आधुनिकता का संबंध केवल कपड़ों से नहीं होता।