कौन हैं भारत के सबसे अमीर मुस्लिम? भारत के सबसे बड़े दानवीर का खिताब भी है इनके नाम

WD Feature Desk

सोमवार, 28 जुलाई 2025 (16:24 IST)
Azim Premji India’s Richest Muslim: भारत, विविधताओं का देश, जहां एक ओर अपार धन-संपदा है, वहीं दूसरी ओर ऐसे महान व्यक्तित्व भी हैं जो अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा समाज कल्याण में लगा देते हैं। ऐसे ही एक असाधारण व्यक्ति हैं अजीम प्रेमजी, जिन्हें न केवल भारत के सबसे अमीर मुस्लिमों में से एक माना जाता है, बल्कि वे 'भारत के सबसे बड़े दानवीर' का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं। उनकी कहानी सिर्फ़ एक सफल व्यवसायी की नहीं, बल्कि एक ऐसे परोपकारी इंसान की है, जिन्होंने अपनी दौलत को समाज के उत्थान, विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित कर दिया।

अजीम प्रेमजी का शुरूआती जीवन
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में एक संपन्न मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता, एम.एच. हशम प्रेमजी, एक प्रसिद्ध व्यवसायी थे जिन्होंने 1945 में 'वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड' की स्थापना की थी, जो बाद में विप्रो (Wipro) बनी। जब अजीम प्रेमजी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तभी 1966 में उनके पिता का निधन हो गया। उस समय उनकी उम्र मात्र 21 साल थी। उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़कर भारत वापस आना पड़ा और पिता की डूबती हुई कंपनी की कमान संभालनी पड़ी।

पिता की डूबती कंपनी को बनाया दुनिया की बड़ी आईटी कंपनी WIPRO
उस वक्त कंपनी साबुन, तेल और वनस्पति घी जैसे उत्पाद बनाती थी। यह एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि कंपनी भारी कर्ज में डूबी थी और उनके पास व्यवसाय का कोई अनुभव नहीं था। लेकिन, अजीम प्रेमजी ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी दूरदर्शिता और कड़ी मेहनत से कंपनी को एक नया आयाम दिया। 1980 के दशक में, जब भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षेत्र अपने शुरुआती चरण में था, प्रेमजी ने इस अवसर को पहचाना। उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर 'विप्रो लिमिटेड' किया और इसे आईटी सेवा और सॉफ्टवेयर विकास के क्षेत्र में ले गए। यह एक क्रांतिकारी कदम था, जिसने विप्रो को एक छोटे तेल और साबुन बनाने वाली कंपनी से एक वैश्विक आईटी दिग्गज में बदल दिया। आज विप्रो भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है, जो लाखों लोगों को रोजगार देती है और दुनिया भर में अपनी सेवाएं प्रदान करती है।

भारत के सबसे बड़े दानवीर बनकर कायम की मिसाल
अुरुन इंडिया फिलैंथ्रोपी लिस्ट (Hurun India Philanthropy List) के अनुसार, अजीम प्रेमजी भारत के सबसे बड़े दानवीर हैं। उन्होंने अपनी कुल संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान करने का संकल्प लिया है। फोर्ब्स के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 12.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 1 लाख करोड़ रुपये) है, लेकिन उन्होंने अब तक 2.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का दान किया है, जो किसी भी भारतीय द्वारा दान की गई सबसे बड़ी राशि है।
अजीम प्रेमजी प्रतिदिन औसतन 27 करोड़ रुपये का दान करते हैं। उनकी यह उदारता उन्हें 'भारत का बिल गेट्स' भी बनाती है, क्योंकि वे बिल गेट्स की तरह अपनी अधिकांश संपत्ति समाज कल्याण में लगा रहे हैं।

शिक्षा और समाज सेवा में प्रेमजी फाउंडेशन का योगदान
अजीम प्रेमजी के परोपकारी कार्यों का मुख्य माध्यम अजीम प्रेमजी फाउंडेशन है, जिसकी स्थापना उन्होंने 2000 में की थी। इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य भारत में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और एक न्यायपूर्ण, समानता पर आधारित, मानवीय और विकासशील समाज बनाने में योगदान देना है।

फाउंडेशन देश के दूर-दराज के इलाकों और ऐतिहासिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में काम करता है। यह आंगनवाड़ी और स्कूलों से लेकर राज्य व राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों तक में अपना योगदान देता है। फाउंडेशन बेंगलुरु में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की स्थापना भी की है, जिसका मकसद शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए रिसर्च और प्रोफेशनल्स को तैयार करना है। यह सार्वजनिक शिक्षा प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए सरकारों के साथ मिलकर भी काम करता है।

कोविड-19 महामारी के दौरान भी अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने राहत कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा, भोजन और अन्य आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए बड़ी धनराशि दान की।

अजीम प्रेमजी की कहानी दृढ़ संकल्प, दूरदर्शिता और परोपकार की एक अद्भुत मिसाल है। उन्होंने न केवल अपनी कंपनी को वैश्विक ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि अपनी अधिकांश संपत्ति को समाज के सबसे वंचित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उनकी यह निस्वार्थ सेवा उन्हें भारत के सबसे अमीर मुस्लिमों में से एक होने के साथ-साथ 'भारत के सबसे बड़े दानवीर' का खिताब भी दिलाती है। अजीम प्रेमजी यह साबित करते हैं कि सच्ची सफलता केवल धन कमाने में नहीं, बल्कि उसे समाज के कल्याण में लगाने में है।
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