वेलेंटाइन डे के दिन कपल्स एक दूसरे के साथ वक्त गुजारते हैं और अपने प्रेम का इजहार भी करते हैं। लेकिन इसके साथ ही कई लोगों को लगता है कि वेलेंटाइन डे किसी दिन का नाम है। लेकिन आज हम बताएंगे कि वेलेंटाइन डे किसी दिन का नाम नहीं बल्कि एक पादरी का नाम था, जिसने प्यार के लिए एक शक्तिशाली शासक से लौहा लिया था। आइए जानते हैं यह कहानी।
वेलेंटाइन किसी दिन का नाम नहीं है, यह नाम है एक पादरी का, जो रोम में रहता था, उस वक्त रोम पर क्लॉडियस का शासन था, जिसकी इच्छा थी, कि वह एक शक्तिशाली शासक बने, उसके लिए उसे एक बहुत बड़ी सेना की स्थापना करनी थी, लेकिन उसने देखा कि रोम के वो लोग जिनका परिवार है, जिनके बीवी और बच्चे हैं, वो सेना में नहीं जाना चाहते, तब उस शासक ने एक नियम बनाया, जिसके अनुसार उसने भविष्य में होने वाली सभी शादी पर प्रतिबन्ध लगवा दिया। यह बात किसी को ठीक नहीं लगी, पर उस शासक के सामने कोई कुछ नहीं कह पाया।
यह बात पादरी वेलेंटाइन को भी ठीक नहीं लगी। एक दिन एक जोड़ा आया, जिसकी शादी पादरी वेलेंटाइन ने चुपचाप एक कमरे में करवा दी। लेकिन यह बात छुप नहीं सकी औ उस क्लॉडियस को पता चल गई। उसने पादरी वेलेंटाइन को कैद कर लिया और उसे मौत की सजा सुनाई दी गई।
जब पादरी वेलेंटाइन जेल में बंद था, तो उस दौरान कई लोग उससे मिलने आते थे, उसे गुलाब और गिफ्ट देते थे, वह सभी बताना चाहते थे, कि वह सभी प्यार में विश्वास करते है, पर जिस दिन उनको मौत की सजा दी, वह दिन 14 फरवरी था, मरने से पहले पादरी वेलेंटाइन ने एक खत लिखा, जो कि प्यार करने वालो के नाम था। वेलेंटाइन प्यार करने वालों के लिए ख़ुशी ख़ुशी कुर्बान हुआ है और प्यार को जिन्दा रखने की गुहार करता है, इसलिए उस दिन से आज तक 14 फरवरी को वेलेंटाइन की याद में वेलेंटाइन डे के नाम से मनाया जाता है।