बेशक, भारत का सबसे बड़ा और सम्मानित ब्रांड है टाटा समूह और उसने ओलंपिक के मौके पर भारतीय खिलाड़ियों की हौसलाअफजाई के लिए सोशल मीडिया पर जो अभियान चलाया है, वह विलक्षण है। सोशल मीडिया के इस अभियान की चर्चा हर मीडिया में हो रही है। देश का नमक, टाटा नमक इस उत्पाद का लोगो है। इसी को आगे बढ़ाते हुए टाटा समूह ने नया अभियान शुरू किया है, जिसका हैशटैग है # नमक के वास्ते।
वास्तव में टाटा नमक, देश का नमक अभियान की शुरुआत 2002 में की गई थी। टाटा समूह अनेक उत्पाद बनाता है, जिसमें नमक भी एक है। भारत में नमक को लेकर बहुत से मुहावरे चलन में है और नमक की महत्ता अमृत तुल्य मानी गई है। लोग नमक की कसमें खाते हैं और उसे अपने ईमान और देशप्रेम से भी जोड़ते हैं। टाटा ने इन्हीं भावनाओं का उपयोग किया है। टाटा ने अपने उत्पाद के लिए खेल हस्तियों को शामिल किया है।
2014 में टाटा ने मैरीकॉम को लेकर विज्ञापन बनाया था, जिसमें वे अपने बॉक्सिंग करियर के बारे में बताती हैं और अपने बचपन की कहानियां शेयर करती हैं। ये विज्ञापन खुद मैरीकॉम की आवाज में तैयार किए गए थे, ताकि उन्हें देखते हुए दर्शक उनसे आत्मसात हों। इन सभी विज्ञापनों को अच्छा प्रतिसाद मिला और टाटा नमक की लोकप्रियता बढ़ी। नमक बिक्री चाहे बढ़ी हो या न बढ़ी हो पर टाटा समूह की विश्वसनीयता जरूर बढ़ी होगी।
पिछले 2 अक्टूबर को टाटा ने 'गांधी इन मी हैशटैग' से एक अभियान चलाया था, जिसमें लोगों से अपने अनुभव बांटने का अनुरोध किया गया था। उस श्रृंखला में भी अनेक विज्ञापन चर्चा में रहे थे, जैसे कि किस तरह लोग रिश्वत देने के लिए मना करने लगे, डॉक्टर ओवरटाइम के बाद भी मरीज की सेवा में जुटा है और एक बूढ़ा टैक्सी ड्राइवर जरूरतमंद की मदद करता है। ये सभी अभियान दिल को छू लेने वाले थे।
टाटा समूह इसके अलावा आयरन स्ट्रांग वुमन अभियान भी चला चुका है, जिसमें एवरेस्ट विजेता प्रेमलता अग्रवाल की कहानी बताई गई थी। देश की पहली दिव्यांग एवरेस्ट विजेता अरुणिमा सिन्हा ने भी टाटा समूह के सहयोग से ही एवरेस्ट पर फतह करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया था। अब टाटा समूह ब्राजील के रियो में होने वाले ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों की हौसलाअफजाई में लगा है।
सोशल मीडिया पर इस अभियान का उद्देश्य है, उन खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना। दुर्भाग्य से भारत में केवल कुछ खेलों के खिलाड़ी ही स्टार माने जाते हैं। इस अभियान में टाटा की कोशिश है कि सभी खेलों के सभी खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया जाए। इसके लिए जरूरी हो तो उन खिलाड़ियों की पीठ थपथपाई जाए, उनके संघर्ष को जन-जन तक पहुंचाया जाए और उनकी प्रेरणादायी कहानी को युवकों में लोकप्रिय बनाया गया है, ताकि दूसरे लोग भी उन खिलाड़ियों की तरह बनने की इच्छा रखें।
टाटा समूह टेलीविजन चैनलों और अखबारों में तो विज्ञापन दे ही रहा है, फेसबुक और टि्वटर पर भी विशेष चैनल शुरू कर भारतीय खिलाड़ियों की हिम्मत बढ़ा रहा है। रियो जाने वाले भारतीय खिलाड़ियों को जब लाखों की संख्या में लाइक्स मिलते हैं, तब उनका हौसला अपने आप बढ़ता है। ओलंपिक ऐसे खेल हैं, जिनमें जीत बहुत मायने रखती है, लेकिन इससे भी बढ़कर बात यह है कि ओलंपिक में भाग लेना ही, अपने आप में एक उपलब्धि है। ओलंपिक में जाने वाला हर खिलाड़ी भारत के लिए खेलता है और भारत का प्रतिनिधित्व करता हैं। खेलों के कारण ही पूरे देश के लोग एक सूत्र में बंध जाते हैं। दिलचस्प बात यह है कि सभी विज्ञापन खिलाड़ियों की अपनी आवाज में हैं, जिससे उन्हें सितारे की हैसियत अपने आप में मिलने लगी है।
खिलाड़ियों की इमेज वाली ग्रॉफिक्स और विशेष वीडियो बनाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया के यूजर्स से अपील की जा रही है कि वे उसे अपनी वॉल पर शेयर करें। कवर फोटो के रूप में भी उसका उपयोग किया जा सकता है। इस अभियान में अमिताभ बच्चन और नवाजुद्दीन सिद्दीकी के ऑफिशियल सोशल मीडिया पेज भी शेयर किए जा रहे हैं। पूरे देश में सोशल मीडिया पर लोग भारत के खिलाड़ियों को शुभकामना संदेश दे रहे हैं। विश्व के सबसे विशाल और महत्वपूर्ण खेल मेले में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए यह निश्चित ही फख्र की बात है।
सोशल मीडिया पर परस्पर शेयर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। बबीता कुमारी के वीडियो को लोगों ने बड़ी संख्या में लाइक और शेयर किया है। इस ओलंपियन महिला रेसलर के वीडियो 14 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। शॉटपुट के खिलाड़ी इन्द्रजीत सिंह को भी बड़ी संख्या में लाइक मिले हैं। उनके वीडियो को देखने वालों की संख्या बबीता कुमारी से भी अधिक 17 लाख तक पहुंच गई है।
टाटा नमक इसके अलावा बॉक्सर शिवा थापा, अवतार सिंह आदि को भी अपने अभियान में शामिल कर चुका है। इन विज्ञापनों में उनकी कड़ी मेहनत, दृढ़ आत्मविश्वास, लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता का इरादा और इस सबसे बढ़कर ओलंपिक में भारत के प्रतिनिधि के रूप में खेलना शामिल है। इन खिलाड़ियों पर फिल्में भी बनाई गई हैं और उनका प्रचार-प्रसार भी हो रहा है। इस तरह के अभियानों से निश्चित ही उन खिलाड़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी, जो अभी खेल में अच्छा स्थान पाने के लिए संघर्षरत हैं। खेल में जीत या हार बहुत मायने नहीं रखती, मायने रखता है खेल भावना का विकास। निश्चित ही टाटा समूह ने इस अभियान के माध्यम से लोगों के दिलों को छू लिया।