मेरा ब्लॉग : मेरे मन का मनु

कल से मनु के स्कूल खुल रहे हैं। मम्मी थोड़ी हैरान है, थोड़ी परेशान। 13 साल के मनु की बेफिक्री और बिंदासपन देख कर। अभी भी उसका मैथ्स प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है। पूरे डेढ़ महीने में मनु ने क्या किया, मम्मी हिसाब लगा रही है। सुबह 8 -8.30 तक उठना, ऊंघते हुए ब्रश, अखबार, दूध बेमन से सुबह कंप्यूटर क्लास और शाम को कोचिंग। दिन भर दोस्त, क्रिकेट, टीवी और मस्ती। इस बीच कजिन की शादी, हिमाचल और वैष्णव देवी की ट्रिप (फ्रेंड मलेशिया गया है, यह सूचना मम्मी को दी जा चुकी है)

ओफ़! 30 तक टेबल्स याद कराने थे। गुलिवर्स ट्रेवल ख़तम कराना था। लिखावट सुधारनी थी। कैसे बीत गया वक्त? कहां चला गया, समझ ही नहीं आया। क्या मम्मी ने ढील दे दी? नौवी क्लास क्या छोटी है। अब कैसे कवर करेगा? 
 
 कल सुबह 5 बजे उठना है और यह लड़का...मम्मी चार दिन से चिल्ला रही है कि व्यवस्थित हो जाओ। कम से कम 7 बजे तक तो उठो। किताबे- कॉपियां बिखरी पड़ीं हैं। स्कूल बैग धूल खा रहा है और महाशय टीवी की सामने जमे हैं।पहले कार्टून था, अब क्रिकेट का नया चस्का है। एक्जाम्स तक में वर्ल्ड कप देखा है। ऊपर से तुर्रा यह कि 9.5 आ गए ना, बस..!
 
शाम के सात बजे हैं। मम्मी पूरी रफ़्तार से काम में जुटी है। सेशन का पहला दिन। कोई कसर ना रह जाए।  यूनिफार्म धुल कर प्रेस हो चुकी है। टिफिन और नाश्ते की तैयारी हो चुकी है। मनु ? फ़ोन पर प्रोजेक्ट के बारे में डिस्कस कर रहा है ‘ मम्मा रिलेक्स ! सब हो जाएगा।’ 
 टिर्र-टिर्र 5 बजे का अलार्म। मम्मी हडबडा कर उठ बैठी हैं। बालों में क्लचर फसां कर सीधे किचन की ओर.... ‘मनु , ब्रश हो गया ?’ 
 ‘हां’    
‘सिर्फ 30 सेकंड में ?
पूरे 2 ½  मिनिट, मम्मा.
‘बेटा, नहाने जाओ’ 
‘बस, हेडिंग ओर लिख लूं, मैथ्स टीचर खतरू है, यार.’
‘टाई की नॉट ठीक करो’ 
‘स्कूल में...... ओके बाय..’
‘अरे, प्रोजेक्ट तो लो .... 
‘ओ माय गॉड, बचा लिया .. थैंक्स मम्मा,’ 
 ओफ़...! चलो, हो गए मनु के स्कूल शुरू, अब धीरे-धीरे रूटीन सेट हो जाएगा, फिर सब व्यवस्थित हो जाएगा, मनु भी .. क्या सचमुच? मम्मी को यकीन क्यों नहीं हो रहा है?

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