मनोरंजन तरीके से हिंदी सिखाने का काम करती वेबसाइट

‘कभी खुशी कभी ग़म’ मूवी के जिस दृश्य में काजोल धूप-बत्ती करती दिखाई गई हैं, उसमें पीछे भगवान् श्रीराम-सीता की तस्वीर है और काजोल गायत्री मंत्र पढ़ रही हैं। हमारे लिए यह कोई अनोखी बात नहीं है, क्योंकि इष्टदेव की छवि के आगे उसी के नाम की माला जपी जाती हो ऐसा ज़रूरी नहीं, यह हम जानते हैं।

इसी तरह किसी के ‘सोने’ पर हम अनायास ‘सो जाना’ या ‘सो गया’ का वाक्य प्रयोग करते हैं, लेकिन जिनके लिए हिंदी विदेशी भाषा है उनके सामने यह सवाल उठता है कि कोई सोया है तो गया कहां, मतलब सोने के साथ जाना या गया शब्द कैसे लग सकता है।

भारतीय रेल मंत्रालय में हिंदी राजभाषा के निदेशक रहे विजय मल्होत्रा के सामने ये केवल सवाल नहीं थे, जिन्हें अनदेखा किया जा सकता हो, वे इन सवालों के ऐसे संतोषप्रद जवाब और इस सरलता से देना चाहते थे जिसे हिंदी भाषा सीखने के उत्सुक विदेशी छात्रों को आसानी से समझाया जा सके। सालों से वे हिंदी फ़िल्मी गीतों के ज़रिए स्पोकन हिंदी सिखाने का काम करते आ रहे हैं।

यह मनोरंजन तरीके से हिंदी सिखाने का काम है, जिसमें विदेशी छात्र आसानी से उस हिंदी को समझ सकते हैं जो इंडिया में आसानी से बोली-समझी जाती है, जिस भाषा में वे संडे को चर्च जाना कह सकते हैं, जहां रोजमर्रा की भाषा में उन्हें रविवार को गिरजाघर जाना कहने की आवश्यकता न हो।

इसके लिए उन्होंने बाकायदा वैबसाइट बनाई है, ‘लर्न हिंदी थ्रू एड्यूटेनमेंट (learn Hindi through Edutainment)’। सबके लिए निःशुल्क यह वेबसाइट 14 सितंबर 2022 को हिंदी दिवस पर लॉन्च हुई और नए साल अर्थात् 1 जनवरी से उसमें कई अन्य सैगमेंट्स को भी समाहित किया जाएगा इसमें से एक है ‘प्राउड इंडिया’। पहले अंक में अक्षय कुमार के संवाद इसमें सुने जा सकते हैं। पूरी वैबसाइट की रीढ़ की हिंदी हिंदी फ़िल्में ही हैं, जिनके दृश्यों-गीतों को हिंदी सिखाने के उद्देश्य से पूरी तरह गैर-व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए लिया गया है। पर ऐसा भी नहीं है कि इसमें केवल बॉलीवुड ही हो बल्कि हिंदी के अंक, हिंदी की मूलभूत वर्णमाला से यह वैबसाइट शुरू होती है और समापन तक पहुंचते हुए हिंदी वर्णमाला के हर अक्षर और उसके विभिन्न प्रयोगों के खजाने पर समाप्त होती है। अलग-अलग सैगमेंट को विभिन्न गणमान्य लोगों ने सहयोग देकर समृद्ध किया है।

सेवा-निवृत्त प्राचार्य, दक्षिण एशियाई भाषाएं, युनिवर्सिटी ऑफ़ पेन्सिल्वेनिया, संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रो. सुरेंद्र गंभीर ने स्पोकन हिंदी के पाठ देने का जिम्मा उठाया है, इन गीतों के हिंदी सबटाइटल्स भी दिए गए हैं। अमेरिका निवासी डेविड स्टीवेंस ने अमरीकी पर्यटक के रूप में संवादो की एक श्रृंखला तैयार की है। हिंदी में टंग ट्विस्टर भी हैं। बच्चों के लिए एक अलग खिड़की है। हिंदी के कुछ संवाद और कुछ अभिव्यक्तियां भी हैं। हिंदी में अभिवादन और हिंदी के वाक्य विन्यास को भी रोचक तरीके से समझाया गया है।

ईको वर्ड्स जैसे खाना-पीना, उठना-बैठना, आना-जाना को भी स्थान दिया गया है। हिंदी के मोडल वर्ब जैसे चलो, आओ को भी अलग से समझाया गया है। वर्ड पॉवर ऑफ़ हिंदी के लिए यू-ट्यूब चैनल ‘ए मैलोडियस लिरीकल जर्नी’ की वर्णमाला श्रृंखला को उपलब्ध कराया गया है।

सीखने की प्रक्रिया में उच्चारण का बहुत महत्व होता है इसलिए वेबसाइट की सारी शैक्षणिक सामग्री चाहे गीत हों, उनके शब्द हों, ग्लॉसरी या संवाद हों उनके साथ ऑडियो भी रखा गया है और देवनागरी तथा रोमन में अंग्रेज़ी अनुवाद के साथ ट्रांसस्क्रिप्ट भी रखी गई है। साइट को यूज़र फ़्रैंडली बनाया गया है, ताकि शिक्षार्थी अपनी इच्छा से आगे-पीछे कर सकता है, हाईलाइट कर किसी ख़ास शब्द को समझ सकता है।

इसे मेबेडेन में भारत की उच्चायुक्त रहीं राधा वेंकटरमण ने प्रायोजित किया है। तकनीकी सहयोग सुधीर कुमार का है। सलाहकारों में अमेरिका के प्रो. गंभीर के साथ युनिवर्सिटी ऑफ़ कॉपनहैगेन डेनमार्क के सहायक प्रोफेसर ऐलमार रेनर तथा भारत से पत्रकार/ रचनात्मक लेखक एवं कवि स्वरांगी साने हैं।

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