प्रधानमंत्री को लगभग पचास साल पहले वड़नगर (गुजरात) में उनके डेढ़ कमरे वाले मिट्टी और खपरैल के मकान में साथ रहने वाले अब्बास की अचानक ही इतनी भावुकता के साथ याद आ जाने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? वैसे तो पुरानी स्मृतियाँ, सपने और हिचकियाँ पूछकर या अपाइंटमेंट लेकर नहीं आतीं, वे कभी भी आ सकतीं हैं, पर नरेंद्र भाई द्वारा अपने अब्बास भाई को माँ हीराबा के सौवें जन्मदिन पर याद करने का कोई भला-सा कारण तलाश कर पाना मुश्किल हो रहा है। मौक़ा किसी ईद, दीवाली या उत्तरायण का भी नहीं था। साल 2014 में गाँधीनगर से दिल्ली पहुँचने के बाद माँ से मिलने पीएम पहले भी कई बार गुजरात जा चुके हैं।