जीना मुश्किल करता जीका

भारत में दस्तक दे चुके खतरनाक जीका वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में जीका वायरस से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या का आंकड़ा 50 के पार पहुंच चुका है।
 
गौरतलब है कि पिछले साल गुजरात के अहमदाबाद में जीका वायरस के 3 मरीज मिलने के बाद यह लगातार चर्चा के केंद्र में रहा है। हालांकि जयपुर में जीका वायरस के बचाव को लेकर एहतियात बरती जा रही है। यहां तक कि मजिस्दों में नमाज के वक्त भी लोगों को जीका वायरस से सावधान किया जा रहा है।
 
जीका वायरस को लेकर खतरा इसलिए और भी अधिक बढ़ जाता है कि एक तो इसका इलाज अभी तक नहीं ढूंढा जा सका है और दूसरा इससे प्रभावित 80 प्रतिशत लोगों में इसके लक्षण नहीं पाए जाते हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं में यह पता लगाना मुश्किल होता है कि वह जीका वायरस से संक्रमित है या नहीं? वैसे सामान्य तौर पर इसके लक्षणों में बुखार आना, सिरदर्द, गले में खराश होना, जोड़ों में दर्द व आंखें लाल होना शामिल है।
 
दरअसल, जीका वायरस एडीज मच्छर से फैलने वाली बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की जीका पर वर्गीकरण योजना में भारत को इस मामले में दूसरी श्रेणी पर रखा गया है। दुनियाभर के 80 देशों में जीका के मामले सामने आए हैं। जीका कई लोगों के लिए एक नया नाम हो सकता है, लेकिन असल में यह 1940 से हमारे बीच में अपनी मौजूदगी दर्ज कराता आ रहा है।
 
इस वायरस का नाम युगांडा के जंगल 'जीका' के नाम पर पड़ा है, जहां 1947 में यह सबसे पहले पाया गया। दरअसल, यहां वैज्ञानिक येलो फीवर पर शोध कर रहे थे। इस दौरान एक बंदर में यह वायरस मिला। 1952 में युगांडा और तंजानिया में यह इंसानी शरीर में पाया गया। इसके बाद यह तेजी से अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और प्रशांत क्षेत्रों में पाया गया। 1960 से 1980 के बीच जीका वायरस अफ्रीका व एशिया क्षेत्र के इंसानों में पाया गया। 2007 में अफ्रीका व एशिया से जीका वायरस ने प्रशांत क्षेत्र में दस्तक दी। यहीं से पूरी दुनिया में इसकी दहशत फैल गई। लेकिन 2012 में यह दावा किया गया की अफ्रीका में पाया गया जीका एशिया के जीका से अलग है।
 
हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जीका का शिकार कौन-कौन हो सकता है? लेकिन इसके शुरुआती लक्षण गर्भवती महिलाओं में पाए गए हैं और इस बीमारी की वजह से गर्भवती महिलाओं के बच्चों का जन्म अविकसित दिमाग के साथ होता है तथा उनके सिर का आकार भी छोटा होता जाता है, वहीं इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही तंत्रिकाओं पर हमला करती है।
 
जीका वायरस की जड़ मच्छर को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना कि मच्छर इस धरती का सबसे जानलेवा प्राणी है। करीब 7,25,000 लोग हर साल मच्छरों द्वारा पैदा की जाने वाली बीमारियों से मरते हैं। सिर्फ मलेरिया से ही हर साल करीब 20 करोड़ लोग ग्रसित होते हैं जिनमें से लगभग 6 लाख लोगों की मौत हो जाती है इसलिए इस स्थिति में मच्छरों के काटने से बचना ही एकमात्र उपाय है। घर में मच्छर न पनपने देना, रात में मच्छरदानी का इस्तेमाल करना, जाली वाले दरवाजे हमेशा बंद रखना, घर में या आस-पास पानी को ठहरने नहीं देना व मच्छर वाले क्षेत्र में पूरे कपड़े पहनना आदि-आदि बचाव किए जा सकते हैं।
 
सवाल है कि भारत में जीका का प्रवेश कैसे हुआ? भारत के करीब 1,500 से अधिक लोग ब्राजील में रहते हैं। संक्रमित व्यक्ति के साथ यह वायरस भारत पहुंचकर दूसरे इंसानों को भी अपने संक्रमण में ले लेता है, वहीं नेपाल व बांग्लादेश से आसानी से लोग भारत में प्रवेश कर सकते हैं। जाहिर है कि उनके साथ भी यह बीमारी भारत पहुंचती है।
 
हमें ध्यान रखना होगा कि आज जिस तरह से कभी निपाह तो कभी इबोला तो कभी जीका वायरस का भारत में संकट बढ़ता जा रहा है, यह कई विदेशी षड्यंत्र तो नहीं, क्योंकि किसी भी देश की ज्यादा से ज्यादा आबादी को सीमा पर गोलीबारी करके मार गिराना किसी भी शत्रु देश के लिए बेहद मुश्किल होता है लेकिन जानलेवा बीमारी का वायरस फैलाकर किसी भी देश में जान-माल की क्षति आसानी से की जा सकती है। इसलिए सरकार को एयरपोर्ट पर सुरक्षा को बढ़ाकर पड़ोसी देशों से आने वाले इस वायरस से किसी संक्रमित व्यक्ति को प्रवेश देने पर पाबंदी लगा देनी चाहिए।

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