मान्यताएं: पुराणों में दो प्रकार के नाग बताए गए हैं- दिव्य और भौम। दिव्य वासुकि, तक्षक आदि हैं। जो भूमि पर उत्पन्न होने वाले सर्प हैं, उनकी संख्या अस्सी बताई गई है। दिव्य पाताल लोग में भौम्य भूमि पर रहते हैं। अनन्त, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापदम, शंखपाल और कुलिक इन आठ नागों को सभी नागों में श्रेष्ठ बताया गया है।
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