* इन्सान के लिए सबसे पहला काम है परमेश्वर का नाम जपना, क्योंकि गुरु जी के अनुसार इन्सान को जन्म मिला ही परमेश्वर के नाम का जाप करने के लिए है। परमेश्वर के नाम का जपने से मन को शांति मिलती है। मन से अहम की भावना खत्म होती है।
* दूसरा काम गुरु जी ने बताया है कीर्त करना मतलब, कमाई करना। प्रभु ने हमें जो परिवार दिया है उसका पालन करने के लिए हर इन्सान को धन की कमाई करनी चाहिए। पर खास ध्यान यहाँ इस बात का रखना है कि कमाई अपने हक़ की हो किसी और की कमाई को यानी पराए हक़ को नहीं खाना।
* तीसरा काम गुरु जी ने बताया है वंड छकना मतलब बांट के खाना। हर इन्सान को अपनी कमाई में से कम से कम दसवां हिस्सा परोपकार के लिए जरूर लगाना चाहिए। प्रभु ने इन्सान को बहुत से प्रकार की सुविधाएँ दी है उस में से इन्सान का फर्ज है कि वो भी तन, मन और धन से सेवा करें। पर सेवा करते समय उस के मन में किसी प्रकार का अहंकार ना आए।