धन्यवाद अफजल! हमें याद आया, POK हमारा है...

गुरुवार (14 मार्च) और शुक्रवार (15 मार्च) के दिन के मायने भारतीय संदर्भ में काफी अहम हैं। पहला यह कि पाकिस्तान की संसद में एक प्रस्ताव पारित कर अफजल की फांसी की निंदा की गई, दूसरे शब्दों में कहें तो भारतीय मामलों में सीधा-सीधा दखल।

पाकिस्तान की इस नापाक हरकत का सुखद पहलू यह रहा कि उसने हमारे नेताओं के 'पुरुषत्व' को झकझोरा या ललकारा। ...और उसकी प्रतिक्रिया अगले ही दिन संसद में देखने को मिली। जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान के गैर कानूनी कब्जे वाले कश्मीर समेत जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा।
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दुर्भाग्य से यह आवाज कभी-कभार ही सुनाई देती है, लेकिन पाकिस्तान आए दिन कश्मीर का राग आलापता रहता है। जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कभी भारत के ही एक राज्य जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था, आज वह पाकिस्तान के कब्जे में है। वहां से अब पाकिस्तान आतंक का व्यापार चलाता है। वहां के शिविरों में प्रशिक्षित होकर, प्रेरित होकर आतंकवादी कभी कसाब के रूप में मुंबई को निशाना बनाते हैं, तो कभी अफजल के रूप में संसद पर हमला करते हैं।

...और हमारे 'तारणहार' दिल्ली में किसी भी हमले पर सिर्फ यह प्रतिक्रिया देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं, यह कायरतापूर्ण है, हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। हर बार की तरह परिणाम फिर वही 'ढाक के तीन पात'।

खैर, नेताओं से उम्मीद ज्यादा नहीं की जा सकती। बात पीओके की है या यूं कहें कि भारत के ही एक हिस्से की है, जिस पर पाकिस्तान ने बलात कब्जा कर रखा है। इतना ही नहीं अब तो वहां चीन की आमद-रफ्त भी बढ़ गई है। जो निश्चित ही हमारी सुरक्षा के लिए चुनौती है, चिंता की बात हैदेशभक्त हैं तो जरूर पढ़े क्या है पाक अधिकृत कश्मीर का सच, अगले पन्ने पर...

पीओके पर एक नजर : पीओके (जो कभी हमारा था) करीब 13 हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला है, साथ ही कश्मीर से तीन गुना बड़ा है। पाकिस्तान का दोगलापन इसी से जाहिर होता है कि वह इसे कहता आजाद कश्मीर है, लेकिन यहां के शासन-प्रशासन पर पूरी तरह उसका नियंत्रण है।

पीओके की सीमा पश्चिम में पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा से मिलती है, पश्चिम में अफगानिस्तान से, उत्तर में चीन और पूर्व में जम्मू-कश्मीर और चीन से मिलती है। यह इलाका महाराज हरिसिंह के समय में कश्मीर का हिस्सा था। 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध के बाद कश्मीर के उत्तर-पूर्व में चीन से सटे इलाके अक्साई चिन पर चीन का कब्जा है।

इतिहास के आईने में पीओके : 1947 में पाकिस्तान के पख्तून कबीलाइयों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला बोल दिया। उस समय जम्मू-कश्मीर पर महाराज हरिसिंह का शासन था। उन्होंने भारत सरकार से एक समझौता किया और सैन्य सहायता मांगी। इसके बदले में जम्मू-कश्मीर को भारत में मिलाने की बात कही गई। भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। उस समय पाकिस्तान से हुई लड़ाई के बाद कश्मीर दो हिस्सों में बंट गया। तो कैसा था अखंड भारत, अगले पन्ने पर....

अखंड भारत : प्राचीन भारत की सीमाएं ईरान से बर्मा तक फैली हुई थीं। किसी समय अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, तिब्बत, श्रीलंका अखंड भारत का ही हिस्सा थे। भारत आखिरी बार 14 अगस्त, 1947 को टूटा, जिसका एक हिस्सा पाकिस्तान बना। बाद में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना।

क्या कहा था जिन्ना ने : भारत विभाजन के बारे में पाकिस्तान के जनक और कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था- भारत के विभाजन का बीज तो उसी दिन ही पड़ गया था जब प्रथम हिन्दू इस्लाम में दीक्षित हुआ था। ...और इसी अलगाववादी सोच का नतीजा पाकिस्तान के रूप में सामने आया।

...और क्या कहा था महर्षि अरविन्द ने : यह राष्ट्रधर्म के साथ पैदा हुआ, उसके साथ वह चलता है और उसी के साथ वह बढ़ता है। जब सनातन धर्म का क्षरण होता है, तब राष्ट्र का क्षरण होता हैइस लेख को पसन्द करने वाले जरूर पढ़े कश्मीरी पंडितों का दर्द (क्लिक करें)

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