फूलन देवी हत्याकांड पर फैसला, शेर सिंह राणा दोषी

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नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने डाकू से नेता बनीं फूलन देवी की सनसनीखेज हत्या के 13 साल पुराने मामले में मुख्य आरोपी शेरसिंह राणा को शुक्रवार को दोषी करार दिया।

राजधानी में अशोक रोड स्थित सरकारी आवास के सामने हुई इस हत्या के वक्त फूलनदेवी लोकसभा की सदस्य थीं। बहरहाल, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भरत पराशर ने सबूतों के अभाव में 10 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया।

न्यायाधीश ने कहा कि शेरसिंह राणा को छोड़कर मैं बाकी सभी आरोपियों को बरी करता हूं। शेरसिंह राणा को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश) और 34 (एक जैसी मंशा) के तहत दोषी करार दिया जाता है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त तय की है। उस दिन राणा को दी जाने वाली सजा पर बहस होगी और फिर न्यायाधीश उसे सजा सुनाएंगे ।

न्यायाधीश ने जैसे ही फैसला सुनाया 38 साल के राणा ने कहा कि आपने सिर्फ मुझे ही दोषी क्यों ठहराया है ? बाकी लोग भी शामिल थे। बहरहाल, न्यायाधीश ने कहा कि वे उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दाखिल कर आदेश को चुनौती दे सकते हैं।

न्यायाधीश ने कहा कि मैंने फैसला सुना दिया है। आप उच्च न्यायालय में अपील दाखिल कर सकते हैं। अदालत ने धन प्रकाश, शेखरसिंह, राजबीरसिंह, विजयसिंह उर्फ राजू (राणा के भाई), राजेंद्र सिंह उर्फ रविंदर सिंह, केशव चौहान, प्रवीण मित्तल, अमित राठी, सुरेंद्र सिंह नेगी उर्फ सूरी और श्रवण कुमार को बरी कर दिया। आरोपी प्रदीप सिंह की नवंबर 2013 में तिहाड़ जेल में मृत्यु हो जाने के कारण उसके खिलाफ मामला बंद कर दिया गया था।

राणा, शेखरसिंह, राजबीरसिंह और श्रवण कुमार को न्यायिक हिरासत से अदालत में पेश किया गया जबकि अन्य आरोपी जमानत पर थे। तीन नकाबपोश बंदूकधारियों ने 25 जुलाई, 2001 को काफी करीब से 37 साल की फूलन के सीने में गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी थी। इस वारदात के वक्त फूलन देवी लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के बाद भोजन के लि अपने घर लौट रही थीं।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था। आरोप-पत्र में कहा गया था कि 1981 के बहमई जनसंहार का बदला लेने के लिए फूलन की हत्या की गई। बहमई जनसंहार में फूलन ने कथित तौर पर कई ठाकुरों की हत्या की थी। आरोप-पत्र में राणा, धन प्रकाश, शेखरसिंह, राजबीरसिंह, विजयसिंह, राजेंद्रसिंह, केशव चौहान, प्रवीण मित्तल, अमित राठी, सुरेंद्रसिंह नेगी और प्रदीपसिंह को नामजद आरोपी बनाया गया था। सभी के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और सबूत मिटाने के खिलाफ आरोप थे । इन आरोपियों पर फूलन के सुरक्षा गार्ड की हत्या की कोशिश के आरोप भी लगे थे और शस्त्र अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया था ।

पुलिस का कहना था कि मुख्य आरोपी राणा फूलन की हत्या का मास्टरमाइंड बनकर ठाकुरों का नेता बनना चाहता था । पुलिस ने समाजवादी पार्टी की सांसद रही फूलन की हत्या के पीछे किसी और मंशा से इनकार किया था ।

आरोप-पत्र के मुताबिक, राणा ने अपने दोस्त और रूड़की में बंदूक की दुकान के मालिक राठी से हथियार खरीदे । वह 25 जुलाई 2001 को विक्की, शेखर, राजबीर, उमा कश्यप, उसके पति विजय कुमार कश्यप के साथ दो मारूति कारों में दिल्ली आया ।

राणा फूलन के संसद से घर लौटने का इंतजार कर रहा था । फूलन के गाड़ी से उतरते ही राणा ने उनके सिर में गोली मारी जबकि विक्की ने उनके पेट में कई गोलियां उतार दी ।

आरोप-पत्र के मुताबिक, बाद में राणा ने जमीन पर गिर चुकीं फूलन पर अंधाधुंध गोलियों की बरसात कर दी । विक्की ने फूलन के अंगरक्षक पर गोलियां चलाई । इसके जवाब में फूलन के अंगरक्षक ने भी उस पर गोलियां चलाई । मौके से फरार होते वक्त आरोपियों ने अपने देसी पिस्तौल वहां गिरा दिए राणा ने भागते वक्त कार से भी एक गोली चलाई । पुलिस ने एक वेबली स्कॉट रिवॉल्वर, मोबाइल फोन, सिम कार्ड और घटना के वक्त आरोपियों द्वारा पहने गए कपड़े भी बरामद किए थे । फूलन के शरीर से निकाली गई गोलियों की फॉरेंसिक जांच में इस बात की पुष्टि हुई थी कि उन पर आरोपियों से बरामद किए गए हथियारों से ही गोलियां चलाई गई थी ।

आरोप-पत्र के मुताबिक, राणा दो-तीन साल से फूलन देवी की हत्या की फिराक में था। इसके लिए उसने बैंक लूटकर पैसे भी जुटाए थे और डकैती भी की थी। डकैती के मामले में उस पर मुकदमा चल रहा है। (भाषा)

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