LoC पर भूमिगत बंकरों में लग रही हैं कक्षाएं, हमले से बचने के गुर भी सीख रहे हैं विद्यार्थी

सुरेश एस डुग्गर

शुक्रवार, 2 मई 2025 (18:06 IST)
Classes being held in bunkers in Jammu Kashmir: 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन में आतंकियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जो तनाव बढ़ा उसका परिणाम यह है कि एलओसी (LoC) से सटे क्षेत्रों में पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित होने लगी है और कई गांवों में स्कूलों के अंदर बनाए गए भूमिगत बंकरों में कक्षाएं लगाई जा रही हैं।
 
संघर्ष विराम का लगातार उल्लंघन : जानकारी के लिए उत्तरी कश्मीर का सुदूर जिला कुपवाड़ा उन सीमावर्ती जिलों में से एक है, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच छह साल पुराने संघर्ष विराम समझौते का पाकिस्तान द्वारा लगातार उल्लंघन किया जा रहा है। एक सप्ताह से जारी गोलियों की बरसात का नतीजा यह है कि इस जिले के एलओसी से सटे गांवों में तनाव और भय फिर से बढ़ गया है। ALSO READ: भारत कैसे दे पहलगाम आतंकी हमले का जवाब, क्या बोले अमेरिकी उपराष्‍ट्रपति वेंस?
 
भूमिगत बंकरों की सफाई : यही कारण था कि तनाव के बढ़ते ही दो मंजिला सरकारी स्कूल ने एलओसी पर गोलीबारी प्रकोप के खतरे को देखते हुए भूतल पर कक्षाएं शुरू कर दी हैं। स्कूल के शिक्षकों के मुताबिक कक्षा 6 और 10 (मानक) को अब भूतल पर स्थानांतरित कर दिया है। साथ ही स्कूल परिसर के अंदर भूमिगत बंकर को साफ करवाकर उसमें भी कक्षाएं लगानी आरंभ की गई हैं। दरअसल, 2012 में बाढ़ के कारण जमा हुई मिट्टी के कारण बंकर का प्रवेश द्वार अवरुद्ध हो गया था। लेकिन, अब इसे हटा दिया गया है और छात्रों और कर्मचारियों को समायोजित करने के लिए इसे अंदर तैयार कर दिया। ALSO READ: पहलगाम हमले के बाद भारत पर 10 लाख से ज्यादा साइबर अटैक
 
हमले से बचने के गुर सीख रहे हैं विद्यार्थी : इन स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के साथ ही हमले की स्थिति में बचाव के गुर और तौर तरीके भी सिखाए जा रहे हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि अगर घंटी एक मिनट तक लगातार बजती है, तो कक्षाओं से बाहर भाग जाओ और भूमिगत बंकर में छिप जाओ। जम्मू कश्मीर में सीमा के नजदीक रहने वाले छात्रों को यही बताया जा रहा है, क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है।
 
दूरदराज के सीमावर्ती गांवों में पड़ने वाले कई स्कूलों में दहशत और डर फिर से लौट रहा है, क्योंकि पाकिस्तान पर पिछले एक हफ्ते से संघर्ष विराम का उल्लंघन करने का आरोप है। गुरेज, टंगधार, करनाह, टीटवाल या उड़ी जैसे गांवों में, जहां तोपखाने की गोलाबारी या बंदूकों ने कक्षाओं को खतरनाक क्षेत्रों में बदल दिया है, छात्रों को किसी भी स्थिति का तेजी से जवाब देने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ALSO READ: NIA जांच में खुलासा, आतंकियों ने पहलगाम में 3 स्थानों पर की थी रेकी
 
हालांकि इन जिलों में रहने वाली पुरानी पीढ़ी का कहना है कि उन्होंने सबसे बुरा समय देखा है, लेकिन छात्र अधिक भयभीत हैं, क्योंकि वे अपेक्षाकृत शांत वर्षों में पैदा हुए हैं, जब सीमा पर शांति थी। कश्मीर स्कूल शिक्षा विभाग के एक पूर्व प्रिंसिपल और वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी, जो सदी के अंत में गुरेज घाटी में तैनात थे, याद करते हैं कि जब सीमा पर तनाव था, तब शिक्षा प्रणाली लगभग ध्वस्त हो गई थी।
 
वे कहते थे कि उन्हें लंबे समय तक स्कूल बंद करने पड़े, क्योंकि गोले सीधे परिसर में गिरते थे और बंकर बहुत दुर्लभ थे। जबकि एक शिक्षक का कहना था कि ये अभ्यास या जागरूकता छात्रों के बीच घबराहट को कम करने के लिए हैं क्योंकि इससे उनकी एकाग्रता प्रभावित होती है। वे कहते थे कि हमारी पीढ़ी जानती है कि सीमा पर तनाव शिक्षा क्षेत्र को कैसे प्रभावित करता है। लेकिन हम अपनी युवा पीढ़ी के साथ ऐसा नहीं होने देना चाहते।
 
क्या कहते हैं शिक्षक लोन : टंगधार गांव के सरकारी बॉयज हाई स्कूल के वरिष्ठ शिक्षक इफ्तिखार अहमद लोन कहते थे कि हम उन्हें याद दिलाते हैं कि लंबी घंटी एक चेतावनी है। छात्रों और कर्मचारियों को चेतावनी बजने के बाद कक्षाओं से बाहर निकलने और परिसर में एक बगल के बंकर में जाने के लिए कहा जा रहा है।
 
जानकारी के लिए पिछले दशक में, सीमाओं के साथ संवेदनशील स्थानों पर लगभग 15000 सामुदायिक और निजी बंकरों का निर्माण किया है। लेकिन युद्ध विराम समझौते से आई सापेक्षिक शांति ने लोगों को उन्हें बंद करके स्टोररूम के रूप में इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया। करनाह के बटपोरा गांव के राजा अब्दुल हमीद खान कहते थे कि अब उन्हें अब साफ कर दिया है क्योंकि एलओसी पर संघर्ष के भड़कले का खतरा फिर से मंडराने लगा है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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