शहर में मकान भाड़ा, गांव में इलाज पर सबसे ज्यादा खर्च

बुधवार, 23 जुलाई 2014 (16:20 IST)
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- आदिकुरैश
पेट भरने की आग बुझाने के बाद भारत के शहरी नागरिकों को जिस चीज पर अपनी कमाई का सबसे ज्यादा हिस्सा खर्च करना पड़ता है वह है मकान का किराया। वहीं ग्रामीण भारत में खाने के बाद देशवासियों का सबसे अधिक खर्च दवाइयों पर होता है।

2011-12 में कराए गए 68वें नेशनल सैम्पल सर्वे में मुल्क की यह हकीकत उभरकर सामने आई है। दूसरे लफ्जों में कहें तो शहर में बसने वालों के लिए सर पर छत और गांववासियों के लिए सेहतमंद रहने के लिए जो खर्च किया जाता है वह खाने के खर्चे के बाद उनका सबसे बड़ा व्यय है। सर्वे के यह परिणाम पिछले माह जारी किए गए हैं।

शहरी भारत के लिए दवाइयां पांचवीं सबसे बड़ी गैर-खाद्य वस्तु हैं। मकान भाड़े के बाद बच्चों की तालीम, बिजली और पेट्रोल पर शहरवासियों का सबसे अधिक खर्च होता है।

ग्रामीण भारतीय सेहत के नाम पर काफी पैसा गैर-संस्थागत इलाज पर भी करते हैं। इलाज का ऐसा खर्च जो अस्पताल में भर्ती होने के अलावा किया जाता है। गैर-संस्थागत और संस्थागत मिलाकर ग्रामीणों को इलाज पर काफी खर्च करना पड़ता है। जहां तक खाने के खर्च का सवाल है, शहरी और ग्रामीण भारतीय दोनों के लिए ही सबसे महंगा पदार्थ दूध है।

शहरी परिवारः गैर-खाद्य वस्तुओं पर प्रति व्यक्ति उपभोग का मूल्य

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ग्रामीण परिवारः गैर-खाद्य वस्तुओं पर प्रति व्यक्ति उपभोग का मूल्य

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शहरी परिवार : खाद्य वस्तुओं पर प्रति व्यक्ति उपभोग का मूल्य

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ग्रामीण परिवार : खाद्य वस्तुओं पर प्रति व्यक्ति उपभोग का मूल्य

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* आंकड़े रुपए में


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